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________________ [२१] भेट किये और आशातनाके परिहारके लिये कुछ फरमान जारी कर दिये । जैसे कि इस तीर्थ पर फलाना फलाना काम किसीने नही करना ( इस वर्णनके लिये मेरा लिखा कुमारपाल चरित्र हिन्दी पुस्तक देखो ) दिगंतकीर्त्तिक - महाराज - सिद्धराजका जैन धर्म से इतना घनिष्ट संबंध था कि अन्य केई एक इतिहासकारांने तो उन्हें जैनहीके नाम से लिखडाला । " कर्नल जेम्स टॉड साहेबने अपने बनाये टॉड राजस्थान नामक पुस्तककी फुटनोटमें लिखा है कि " सिद्धराज जयसिंहने संवत् १९५० से १२०१ तक राज्य किया, प्रसिद्ध निडवियन भूगोलवेत्ता [एलएड्री] इसकी राजसभा में गयाथा । एल, एडीसीभी कहता है कि - जयसिंह सिद्धराज बौद्ध धर्मावलंबी था । टॉड राजस्थान अध्याय ६ | फिर देखना चाहिये कि - इतिहास लेखक - राजा शिवप्रसाद - सितारे हिन्द क्या व्यान करते हैं " इदरीस जो ग्यारहवी सदीके आखीर में पैदा हुआ था. लिखता है कि - अणहिलवाड ( अर्थात् Aho! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
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