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________________ [१२] बडा सदाचार है लोकोक्ति है । कि-"बद न सोचे जेमगर दूगर कोइ मेरी सुने । है यह गुम्मनकी सदा जैसी कहे बैसी सुने " कलिकाल सर्वज्ञ-इतने दर्जे तक पहुचनेपर भी अपने गुरु महाराज के परमभक्त थे. इसी लियेही-कर्णाटक से हिमाचल के बीचको २२ राजधानियांपर हकूमत करनेवाला सिद्धराज जयसिंह, और तुरक देश-गंगातट-विन्ध्याचल-और समुद्र किनारे तक भूमिके एक छत्रराज्यको करनेवाला कुमारपालभी उनकी आज्ञाको देव निर्माल्य की तरह शिरोधार्य करते थे। -20स्वामित्व-और-स्वीकार. जैसे वैश्नव संप्रदायों द्वारिकापुरी जगन्नाथपुरी आदि स्थानोंको पवित्र तीर्थ स्थान रूपसे स्वीकारा गया है। शैवोने जैसे सोमेश्वर,अंकलेश्वर-तडकेश्वर जगदीश्वर, नगेश्वर-इकलिङ्ग भीडभंजन प्रभृति स्थान नगर गतमंदिर मूर्तियोंको पूज्य माना है । इस्लामवालोंने जैसे मका, मदीना, ख्वाजापीर, ताजबीवी, Aho ! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
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