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________________ (रैवताचल ) पर्वतपर हुए हैं । "उन्जितसेलसिहरे दिख्खा नाणं निसिहिआ जस्स" इत्यार्प वचनात् । श्री नेमिनाथजीके विषयमें लोकोक्तियें" श्री नेमिनाथ स्वामी के नाममें 'नाथ' शब्दको देखकर और उधर अपने धर्ममें-गोरख-मच्छन्दरआदि नामोंके साथभी नाथ शब्दको देखकर दर्शनातरीय लोग और और कल्पना करलें यहतो संतव्य है, परंतु किसी प्रसिद्ध इतिहास वेत्ताने यदि ऐसी भूल करदी हो तो वह असंतव्य है. ___टोड राजस्थानके अनुवादक पंडित ज्वालादत्त शर्मा लिखते हैं "टोडसाहिबके मतानुसार चार बुध " माने गये हैं। साहिब कहते है कि यह चारों " बुध एकेश्वर वादी थे । और उक्त धर्मका एशि" यासे लाकर भारतवर्ष में प्रचार किया था। उ"नके समस्त धर्मशास्त्र एक प्रकारकी शंकुशीर्षाकार " वर्णमालामें लिखे हुए है । सौराष्ट्र-जैसलमेर " और विशाल राज्यस्थानके जिस जिस स्थानमैं Aho! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
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