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________________ द्रव्यपरीक्षा ८. भूगर्भशास्त्र-यह ग्रन्थ अद्यावधि अप्राप्त है। स्वर्गीय मनि कान्तिसागरजी ने इस ग्रन्थ की सूचना दी थी पर उन्होंने कहीं भी इसे या इसके आदि-अन्त्यप्रशस्ति प्रादि नहीं प्रकाशित की। अतः निश्चयपूर्वक कुछ वता सकना कठिन है। प्रति परिचय फेरू की कृतियों की हमें जो एक मात्र प्रति मिली वह ६० पत्रों की है। उसके लिपिकर्ता ने जो लेखन समय दिया है उसमें विदित होता है कि इसका लेखन सं० १४०३ के फाल्गुन से चैत (सं० १४०४) में पूर्ण हुआ अर्थात् लगभग '२' महीने में यह प्रतिलिपि हुई । इसे सा० भावदेव के पुत्र पुरिसड़ ने लिखी थी और किनारे "पतनीय प्रति" लिखा होने से मालूम होता है कि यह प्रति कभी पाटण के ज्ञान भण्डार में रही होगी। निम्नोक्त लेखन प्रशस्ति तीन कृतियों के पश्चात् लिखी हुई यहाँ उद्धत की जाती है (१) "इति ठक्कुर फेरू विरचिते धातूत्पत्ति प्रकरण विधि: समाप्तः श्री विक्रमादित्ये संवत् १४०३ वर्षे फागुण सु० ८ चन्द्रवासरे मृगसिर नक्षत्रे लिखितं । सा० भावदेवाङ्गज पुरिड़ । आत्मवाचनपठनार्थे शुभमस्तु । (२) संवत् १४०३ फा० शु० ८ लि. (युगप्रधान चतुष्पदिका) (३) लिखितं चैत्र सुदी ५ संवत् १४०४ (गणितसार) द्रव्य परीक्षा की रचना सं० १३७५ में हुई और उसके २८ वर्ष पश्चात् लिखी हुई प्रस्तुत प्रति प्राचीनतम है। इसमें कोष्टक, चित्र आदि यथा स्थान दिए गए हैं जिसमें ग्रन्थगत भावों को आत्मसात् करने में बड़ी सहायता मिलती है। इस प्रति में सातों ग्रन्थ इस प्रकार हैं : १. पत्राङ्क १ से १८ तक में ज्योतिषसार २. , १९ से २७A ,, द्रव्यपरीक्षा ३. , २८ से ३५ , वास्तुसार ४. , ३६ से ४१A ,, रत्नपरीक्षा ५. , ४१० से ४३A ,, धातूत्पत्ति ६. , ४३ से ४४ , युगप्रधान चतुष्पदी ७. , ४५ से ६० , गणितसार ठक्कुर फेरू ने अपने ग्रन्थों में जो अपना परिचय स्वयं दिया है वह सर्वाधिक प्रामाणिक होने से उन गाथाओं को यहाँ उद्धत किया जा रहा है। सिरिमाल कुलुत्तंसा ठक्कुर चंदो जिणिदपयभत्तो। तस्संगरुहो फेरू जंपइ रयणाण माहप्पं ॥२॥ Aho! Shrutgyanam
SR No.034194
Book TitleDravya Pariksha Aur Dhatutpatti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakkar Feru, Bhanvarlal Nahta
PublisherPrakrit Jain Shastra Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1976
Total Pages80
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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