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________________ ( १६ ) दूसरे पाठ का निर्देश कर देते थे । कहीं कहीं तो त्यक्त पाठ के साथ असम्यक्, अपपाठः, प्रायशः पाठः, अर्वाचीनः पाठः, प्रमादपाठः आदि शब्दों का प्रयोग भी मिलता है'। कई बार टीकाकार पाठ की समीचीनता को भी सिद्ध करते थे । संपादन में टीका आदि का प्रयोग बड़ी सावधानी से करना चाहिए | जहां किसी प्रकरण पर टोका न मिलती हो वहां यह नहीं समझ लेना चाहिए कि वह प्रकरण प्रस्तुत ग्रंथ में था ही नहीं, क्योंकि हो सकता है कि टीकाकार ने उस को सुगम समझ कर छोड़ दिया हो । यदि वह प्रकरण कठिन हो तो ऐसा समझ लेने में आपत्ति नहीं । ककनीतिप्रकरण पर देववो की टीका का अभाव है परंतु नीलकंठ तथा अर्जुनमिश्र ने विस्तृत व्याख्या की है। यह प्रकरण है काफ़ी कठिन और महाभारत की शारदा तथा काश्मीरी धाराओं में मिलता भी नहीं। इसलिए इस को प्रक्षेप मानने में दोष नहीं । निरुक्त के दुर्गणीता भाष्य में निरुक्त का पाठ अक्षरश: मिलता है, अतः इस से निरुक्त के पाठ-निर्णय में बड़ी सहायता मिलती है" । सार ग्रंथ सार से मूल और मूल से सार ग्रंथ के संपादन में यथोचित सहायता मिलती है। काश्मीरी कवि क्षेमेंद्र की भारतमंजरी महाभारत की काश्मीरी धारा का सारमात्र है, अत: यह ग्यारहवीं शताब्दी में कश्मीर प्रांत में महाभारत की क्या परिस्थिति थी इस पर प्रकाश डालती है । इसी कवि की रामायणमंजरी, अभिनंद का कादम्बरीकथासार आदि अनेक सार ग्रंथ हैं । अनुकरण ग्रंथ अनुकरण ग्रंथ और अनुकृत ग्रंथ एक दूसरे के पाठ - सुधार में प्रचुर सहायता देते हैं। क्षेमेंद्र ने पद्यबद्ध कादम्बरी लिखते समय बाण की कादम्बरी का अनुकरण किया है। किसी श्लोक के अंतिम पाद या टुकड़े के आधार पर पूरा श्लोक बनाने को समस्या पूर्ति कहते हैं । इस रीति से ग्रंथ भी बनाए जा सकते हैं। कालिदास के महा० उद्योग० भू० पृ० १५ डा० लक्ष्मणस्वरूप संपादित निरुक्त ( लाहौर, (६२०) भूमिका पृ० ४५ । २. पी० के० गोडे का लेख, वूलनर कोमेमोरेशन वाल्यूम ( लाहौर, ६४० ) । ३. महा० बम्बई संस्करण, पूर्व १ ; अध्याय १४०, पूना संस्करण पर्व १, परिशिष्ट १,८१ । ४. महा० १, भूमिका पृ० २५ । डा० लक्ष्मण स्वरूप संपादित निरुक्त, भूमिका पृ० ४४ । Aho! Shrutgyanam
SR No.034193
Book TitleBharatiya Sampadan Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulraj Jain
PublisherJain Vidya Bhavan
Publication Year1999
Total Pages85
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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