SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ NE X T9***449 संक्षक प्रति-आ प्रति पाटणना तपागच्छीय ताडपत्र भंडारनी छे. एनो तत्रत्य डा. नं. २. छे. आ प्रतिमा मात्र एक धनदेव-धनदत्तनी कथाज छे. जे पत्र २०० थी २०८ उपर छे. आ प्रतिना अंतमा नीचे प्रमाणे उल्लेख छे. संवत् १३९८ वर्षे पोष सुदि ७ सोमे कथाद्वयं लिखितमिति ग्रन्थ रचनाकाळ-A संज्ञक प्रति अपूर्ण छे, एटले तेना उपरथी प्रन्थनी रचना क्यारे थई तेनो निर्णय थई शके तेम नथी. B संज्ञक प्रतिमां कथाओनो फक्त उतारो ज करवामां आवेलो छे, एटले तेमा आधारे पण रचनाकाल मळी शके तेम नथी. तेम तेनी अन्ते पुष्पिका पण नथी के जेथी कोई पण जातर्नु अनुमान थई शके. त्रीजी संज्ञा प्रतिना अन्ते पुष्पिका छे, जे जोतां ते प्रति १३९८ मां लखायेली छे, एटले मूल ग्रन्थ विक्रमसेनचरित्रनी रचना ते पहेलानी होवी जोईए ए निश्चित छे. छता केटला वखत पहेलानी ते रचना छे ते निश्चित कही शकाय नहि. परन्तु प्रन्थ घणो प्राचीन छे ए तो निर्विवाद छे. ऋणस्वीकार-आ सम्पादनमा अमने संघवीना पाडानी के प्रतिओ पटवा सेवन्तिलाल तरफथी अने तपागच्छीय भंडारनी प्रति पूज्य मुनिराज श्री जशविजयजी महाराजनी प्रेरणाथी तेना कार्यवाहक तरफथी मळी छे. तेथी अमारा आ कार्यमांसहाय करवा बदल ते दरेकनो आभार मानीये छीए. आ प्रन्थ छपाया बाद स्वाध्यायरसिक पूज्यपाद पंन्यासजी महाराज श्रीमान मुक्तिविजयजी गणिवर ध्यानपूर्वक वांची गया छे अने केटलीक अशुद्धिओ तरफ अमाझं ध्यान दोयु छे, ते बदल तेओश्रीनो अत्यन्त उपकार मानीए छीए. उपसंहार-आ ग्रन्थमा त्रण प्रतिओनो उपयोग करवा छतां मुख्यता B संज्ञक प्रतिनी राखी छे. आम छतां ज्यां बीजी प्रतिनो पाठ तेना करतां वधु संगत लाग्यो छे त्यां तेने मुख्य करी बाकीनी प्रतिना पाठने फुटनोटमा पाठान्तर तरीके मूक्यो छे. ज्यां AAAAAAAAAC +% ,
SR No.034180
Book TitlePaiakaha Sangaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay, Kantivijay
PublisherVijaydansuri Jain Granthmala
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy