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________________ जिन बच्चने नयी जाणता ते बीचारा बाळरो अने पर इच्छा तिपणे मरण पामशे ॥ सरगहणं बिस नरकणं च ॥ जलणं च जलप्पवेसो ॥ प्रणायार जंगसेवी ॥ जंमश मरशाणु बंघीलि ॥ ४५ ॥ ए. शस्त्र प्रहष्य विष भक्षण, बळी मरखं, पाणीमा बुढी चतु, अनाचार सर्वा-अधिक उपवरण सेवनार, जन्म मरणती परंपरा अधारनार ॥ ४६ ॥ नद्रुमद्रे तिरियंसि वि || संग्राणि जीवेश बालमरणाशि· ॥ सूण नाण सद्गन ॥ पंमिय मरणं श्रणुमरिस्तं ॥ ४६ ॥ उंचा, नींचा अने विर्च्छा,(लोक) मांजारा की दर्शन जाने सहित बको पंडित मरणेमरीश ॥ ४६ ॥ "यय जाई ॥ मरणं नरएस बेथलाई म ॥ 99 एप्राणि सरतो । पदिय मरण मरतु इन्दि ॥ 8 ॥ उद्वेग करनारा जन्म मरण मने नरकने विवे से बुधुलो बेदनाओ, एथोने संभारतो छतो हमजां पंडित मरणे मर ॥ ४७ ॥ छपाइ 'स्कं ॥ तो बच्चों सहावट नवरे ॥ AAAAAAABARANNAA ANNA PANNAAH
SR No.034177
Book TitleMurkhshatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Hansraj Shravak
PublisherHiralal Hansraj Shravak
Publication Year1926
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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