SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ किंकरी, मोटो हुवो केम पेट ॥ ॥ माह्या थर विचारजो, गर्धव श्रश्व न होय ॥ पुरुष नारी केम संनवे, विप्र विचारी जोय ॥ ए ॥ चौद जुवनपति जे कह्यो, ते केम वामन वास ॥ दीन जीखारी बांजणो, बलि जाच्यो थ दास ॥१०॥ ढाल चौदमी. दमिरीया तारा ने मारा टोडीया, चरता एकण नाल-ए देशी. __ लोक प्रसिद्ध वली सांजलो, दामोदर थया श्वान ॥ सनेही ॥ नामा सुश्नी ना-| खरी, लेश नाग जगवान ॥ सनेही ॥ सूरिजन सांजलजो कथा ॥ ए श्रांकणी ॥ ||॥१॥ घर बायो नामा तणो, पोली श्रापी कान ॥ स० ॥ नीच करम नहीं ए थकी, विचार करो सावधान ॥ स॥ सू० ॥२॥ दोय वानां नवि संजवे, मुज माता एह। विध्य ॥ स० ॥ नारी बेटा घर घणां, ब्रह्मचारी काउबंध ॥ स॥ सू ॥३॥ परनारी चंघाउली, राधा गोवालणी जेद ॥ सानोगवी स्त्री गोवालणी, न्यायवंत किम तेह सासू॥ ४॥ सिक स्वरूपी जे हवा, ते किम धरे अवतार ॥सा पहेलो अवतार मच्छ तणो, संखाशूर संहार ॥ स ॥ सू॥५॥ बीजो अवतार कच्छनो,कैटन मार्यो| ताम ॥ स॥ नव नोजो वाराहनो, दाणव मार्यो गम ॥स०॥सू॥६॥ चोथे नरसिंह
SR No.034172
Book TitleDharmpariksha Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages336
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy