SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ L Eदान वासपूजायां गन्धबन्धुर कथा दोनिवि कहिया नियभवदुगेण समं ॥ ९१ ॥ तं सोउं कुमरी जाइसरणसच्चवियपुवभवचरिया। सिरिगंधबंधुरम्मि अणुरत्ता पुब्वभवदइए ॥ ९२ ॥ तो झत्ति नरमऊरो चलकुंडलहारकंठकयसोहो । जाओ अमरो बहुरविपयावपब्भारदुनिरिक्खो ।। ९३ ॥ तो सा कयप्पणामा पूयइ तं सुरहिपरमवत्थूहिं । "इयरम्मि वि कुलबाला विणयवई किन्न जणयंमि" ॥ ९४ ॥ जंपइ य ताय तुमए जह कहियं तह मएवि सञ्चवियं । पुत्वभवहुगचरियं सिविणे दिवसाणुभूयं व ॥९५॥ ता तुमए मह कहिओ जो पुवभवुब्भवो पिओ कुमरो । इण्हिपि तं वरिस्सं "सईओ न नरंतरमईओ" ॥९६॥ आह सुरो रिद्धीकरी पूया अणुमोइयावि तुह जाया। फलइ बहुं थेवंपिहु बीयं ववियं सुभूमीए ॥ ९७ ॥ तो दिट्ठपञ्चया तं करेज धम्मुज्जमं सया वच्छे । “निच्छइए कल्लाणे न पमाओ जुज्जए जइवा" ॥ ९८ ॥ एवं धम्मुवएसं दाउं सहसा तिरोहिओ तियसो । कुमरी वि गंधबंधुरकुमरे रत्ता गया सगिहे ॥ ९९ ॥ न मुणइ छुहं न पावइ निदं न वियाणए तिसं बाला । जलणजालाजलियंव विरहविहुरा वहइ देहं ।।१५००॥ मन्नइ वीयंव सा चित्तसालियं मुम्मुरंपिव मुणालं । आभरणं दुम्मरणंव पावपूरं व कप्पूरं ॥१॥ एवमवत्थं कुमरिं दहण सहीओ तीए नरवइणो । साहिति पुवभवभवदइए रत्ता तुह सुयत्ति ॥ २॥ नाऊण निवेणवि सहिमुहेण दुहियाए पुत्वभवदइयं । कन्नपि जाणि पियविओयसहणासहं दूरं ॥ ३ ॥ तवेलंञ्चिय मंडलियमंतिसामंतधाइसंजुत्ता । बलकलिया पट्टविया सयंवरा कन्नया तुज्झ ॥ ४ ॥ तीए अहं सत्थकहाकवविणोएसु सब्बया सचिवो। तो तं मोयावेउं तं वद्धाविउमिहं पत्तो ॥५॥ चउपंचदिवसमज्झे सावि हु |तुह पुत्वभवपिया एही । इय विनविउ कुमरं कीरो मोणं समल्लीणो ॥ ६॥ तं सोउं जाईसरणनायनियपुषभवदुगो कुमरो। कुमरिं पइ जायदढाणुरायवसपरवसो जाओ ॥ ७ ॥ चिंतइ तइया दइया निचंपि हियं पयंपमाणीवि । न मए तिणंव गणिया अहो अहंकारमूढेण ॥ ८ ॥ दुईत्तोवि दरिदोवि दुम्मुहोवि हु सईए तीए अहं । ईसरसेहिसुयाएवि 55555555555SE ELGUPUCUPUCAPO अनन्त०८
SR No.034167
Book TitleAnantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherRaichand Gulabchand Shah
Publication Year1940
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy