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________________ श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् दीपकपूजायां भुवनप्रदीपकथा ॥३२॥ 195555555 सपिओवि पत्तआसीसो । नमिउं जणणिं चलिओ सुद्धतेच्चिय ठिया वहुया ॥१८॥ पियुपयसेवासत्तस्स तस्स कुमरस्स जति दिवसाइं । तं अहिसिंचइ राया रजे रिद्धीए कइयावि ॥ १९॥ गीयत्थगुरुसयासे पत्तवओ कयतवो पहयपावो। उप्पन्नविमलनाणो रायरिसी सिवपुरं पत्तो ॥११२०॥ नवराया निरवजं पालइ रजं पयासए नीइं । ताडइ चरडे मन्नइ महायणं अजइ जसं सो॥ २१ ॥ वंदइ गुरुणो पूयइ जिणेसरे संघमच्चए निच्चं । कारवइ विभूईए रहजत्तात्तो जिणिदाणं ॥ २२॥ इय वच्चंते काले कयाइ दीवयपहाए उप्पन्नो। पुत्तो उत्तमलक्खणगणलंछियहत्थपायतलो ॥ २३ ॥ विरइयवद्धावणओ रयणपईवोत्ति कुणइ पुत्तस्स । नाम संमाणेउं सबजणं नरवई हिट्ठो ॥ २४ ॥ वरिसाई पंच पालित्तु पाढिओ तयणु जोवणं पत्तो। वीवाहिओ य उम्मत्तजोवणाओ निवसुयाओ ॥ २५ ॥ समयंतरम्मि कम्मिवि राया रयणीए तुरियपहरम्मि । जागरमाणो सद्धम्ममग्गमणुचिंतिउं लग्गो ॥२६॥ दीवयमेत्ताएवि मे पूयाए असरिसा सिरी जाया । सुहुमाउ वि वडवीयातो जायए नहलिहो साही ॥ २७ ॥ थोवावि धम्मकिरिया भावेण कया महाफला होई । लहुयावि दीवयसिहा उज्जोयइ मरुयमवि गेहं ॥२८॥ जे पुण कुवंति वयं ते सिद्धिवहूवरा धुवं हुन्ति । “अञ्चब्भुयकल्लाणे अप्पायत्ते पमाओ को" ॥ २९ ॥ ता दाउं रज्जसिरिं पभायसमए वयं गहिस्सामि । इय चिंतिय सुहलग्गे रज्जे अहिसिंचइ कुमारं ॥११३०॥ आरुहिय रयणसिवियं दितो दाणाई वजिराउज्जो । सूरीण चरणसारामिहाण पासे समणुपत्तो ॥ ३१ ॥ सकलत्तो कइवयरायसंगतो तेहिं दिक्खितो राया। जातो य साहुसिक्खावियक्खणो तक्खणे दक्खो ॥ ३२ ॥ उक्किट्ठअट्ठमासंततवविसेसट्ठियट्ठिसंहाणो । पडिबोहियभवो जायकेवलो मोक्खमणुपत्तो ॥ ३३ ॥ दीवयपूया भुवणप्पईवरन्नो जहा महाफलया । जाया तह अन्नस्सवि संपज्जइ तीए ता जयह ॥ ३४ ॥ श्री दीपपूजा . 95555भुवणप्पईवराया दीवयपूयाए साहिओ तुम्ह । भुवणप्पमोयगनिवं निसुणह नेवजपूयाए ॥ ३५॥5555 ॥३२॥
SR No.034167
Book TitleAnantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherRaichand Gulabchand Shah
Publication Year1940
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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