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________________ श्री अनन्त - नाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् ॥ २९ ॥ गुणिसंगो तम्हा पुरिसेण उज्झिय कुसंगं । पत्ते सिणिद्धदुद्धे मुद्धोवि किमंबिलं पियइ" ॥ ११ ॥ खेयरवई पयंपइ पहु सिद्धिवहूवरो इमो होही । जो एक्कम्मिवि एवं पडिबुद्धो आवयाए भवे ॥ १२ ॥ पहु अम्हेवि हु पुन्नेक्कमंदिरं जेहिं थावरे तित्थे । चलिएहिं जंगमं तित्थमुत्तमं तमिह संपत्तो ॥ १३ ॥ एत्थंतरे करेणुक्खंधगओ छत्त अन्तरियतरणी । राया चउरंगबलो पत्तो केवलिकमे नमइ ॥ १४ ॥ वंदिय सेसे मुणिणो सलाहिउं पणमिडं च नवसाहुं । उवविट्ठो तो बंदइ तस्संतेउरमवि समग्गं ॥ १५ ॥ तम्मज्झे निवकन्ना नियरूवजियामरी कणयवन्ना । पत्ता मत्तामरहत्थिमंथरक्कमकयागमणा ॥ १६ ॥ लीलाचलच्छिविच्छोहखोहियासेस तरुणनरनियरा । दीवपहानामेणं सारसुहासारसियहासा ॥ १७ ॥ दहूण केवलिं सा हच्छं मुच्छं गया मयंकमुही। सीओवयारसंपत्तचेयणा पुच्छिया पिउणा ॥ १८ ॥ किं वच्छे मुच्छागमणकारणं तुह परंपए सावि । पुच्छसु गुरुणो इय भणिय केवलिं नमिय उवधिट्ठा ॥ १९ ॥ कयकरकोसो नमिऊण केवलिं पुच्छए निवो भयवं । किमु मुच्छिया मह सुया भणइ पहू निसुणसु नरिंद ॥। १०२० ॥ | सरसाहिट्ठियपहियं सरसाहियसत्तुसुहडसंदोहं । सरसाहिलसियवासं पुरमत्थि विसालसालंति ॥ २१ ॥ रविउदयारद्धदिणंत मुक्कधणिभवणकयकुकम्मेण । पत्तारस आहारो अकिंचणो तत्थ अस्थि नरो ॥ २२ ॥ निम्मंसमुही नित्तेय| कालदुखल करालकाया से । मुत्तिमइचामुंडव भारिया आसि विगयासा ॥ २३ ॥ खंडणरंधणपी सण जलवहणगिहप्पमज्जणाईहिं । परघरपत्तकुभोयणकयट्ठिई गमइ दियद्दे सा ॥ २४ ॥ सिसिरे सहति सीयाई गेम्हसमयमि तिवर| वितावं । मलकलयकुचेलाई दोन्निवि मुणिमंडलाई व ॥ २५ ॥ जुन्नकुडीरयछायणकज्जे कइयावि दोवि दब्भत्थं । भमिराई गुरुअरने नियंति आयावयंतं मं ॥ २६ ॥ भणिया अकिंचणेणं भज्जा नमिमो इमस्स पयपमं । जेणज्जेमो अम्हे अत्तम पुन्नपन्भारं ॥ २७ ॥ तो दोन्नि विभत्तिवसप्पसरियरोमंचअंचियंगाणि । भूमियलमिलियभालयलमणहरं दीपक पूजायां भुवनप्रदीपकथा ॥ २९ ॥
SR No.034167
Book TitleAnantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherRaichand Gulabchand Shah
Publication Year1940
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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