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________________ पूजायां 19545555HRESSESSISTERESTHA यंगसंठाणो । करयलकयकरवालो वासहरा निग्गओ कुमरो ॥ १५॥ 'जुयलं' ॥ तं पेच्छंतो गच्छइ उच्छलियअतुच्छको- दीपक| उउकरिसो । चिन्तइ य अहो एवं भुवणंतवहिभवं किंपि ॥ १६ ॥ जं कुचकलियमेगं नरस्स मुहमित्थियाण पुण दोन्नि । गेवेजयमणिकुंडलभालट्ठियतिलयकलियाई ॥ १७ ॥ सुवंति इह भविस्सासत्थेसु दसाणणत्तिमुंडादो । नवरं ते भुवनपुरिसञ्चिय एसो नरनारिरूवो उ ॥ १८॥ इय चिंतंतो पत्तो रायंगरुहो वि तस्समीवंमि । सोवि हु पच्छाहुत्तं गच्छइ प्रदीपकथा करणकमच्छउमा ॥ १९॥ थोवप्पसरप्पउरावसरणकरणकमे कुणंतेण । तेणाहियहियहियओ दूरं नीओ नरिंदसुओ ॥ ८२० ॥ तदंसिय अवरावरविन्नाणालोयवियलियविवेओ। न मुणइ नयरं दूरे न गणइ मग्गस्समलवंपि ॥ २१ ॥ एत्थंतरम्मि सहसा सो नट्टवरो सरूवमुझेउं । उक्खायनिसायअसी जमोव जाओ भडो कुद्धो ॥ २२ ॥ जंपइ रेन दुट्ठाहम कुमार तं सरसु देवयं इडं । मा भणसु पमत्तो हं विणासिओ केणइ छलेण ॥ २३ ॥ तं निसुणिउ कुमारो चिन्तइ सुरअसुरनहयरन्नयरो। कोवि इमो मह वेरी छलेण जेणाणिओहमिह ॥ २४ ॥ वीसासिऊणमेवं जो जायइ घायगो न मोत्तयो । हंतवोच्चिय भन्नइ सो नूणं नीइसत्थेसु ॥ २५ ॥ इय चिन्तिय आयड्डियखग्गो तं हकए निवसु ओवि । “निकरिओ इयरोवि हु रूसइ किं खत्तिओ नेव" ॥२६॥ दोन्निवि वग्गणकरणकमभमणुब्भामियासिदुद्धरिसा । || निप्पसरप्पहरपरा जुझंति समच्छरुकरिसा ॥ २७ ॥ दंसेउं सिरघायं मोत्तुं पाएसु दिति मुनईओ (?) । निविसिय उच्छ लियावसरिउं च दोन्नि वियवंति ॥ २८ ॥ नेगोवि जयं पावइ दोण्हवि सत्थस्समप्पवीणत्ता । न समिति य जं ते | निच्चं चिय विजयसत्थसमा ॥ २९ ॥ अन्नोन्नखग्गसंघट्टभग्गवारंगखुडियअसिफलया । करकयतिक्खग्गखग्गघेणुणो ते |पुणो मिडिया ॥ ८३० ॥ मुक्कासिघेणुघायं वंचइ करणक्कमेण कुमरो से। रोसेण कुमरछुरियापहारलक्खं हरइ सोवि ॥३१॥ अवरोप्परवामकरप्पहारपडियासिघेणुणो दोवि । जुझंति निजुज्झेणं केसग्गहबाहुबंधेहिं ॥ ३२ ॥ निद्दयकेस
SR No.034167
Book TitleAnantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherRaichand Gulabchand Shah
Publication Year1940
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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