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________________ 1 हसुमणेहिं । पूयइ जो जिणचंदे सो सामी हवइ सुमणाण ॥ ३८ ॥ माणुसभवेवि नूणं जिणपूया पुन्नपगरिसपभावा । अंगंपि कुसुमपरिमलमुग्गिरइ सयावि सत्ताण ॥ ३९ ॥ किं बहुणा भोत्तूर्ण असुरनरामरपह्नुत्तरिद्धीतो । सिद्धिं पि धुवं पावर पाणी जिणनाहपूयाए ॥१४०॥ इय आयन्निय बावन्नदेवउलियाजुयम्मि पत्तो सो । कीर विहाराभिहजिण हरम्मि मणिकणयघडियम ॥ ४१ ॥ जाईसरेण जं कीरपक्खिणा भणिय पुत्तजयसेणं । कारवियं नायज्जियधणेण बहुमाणसारेण ॥ ४२ ॥ जं चउदिसिपडिबिंबियपाडलकलियाहिं भमिरभमराहिं । नियइव भावरिउणो कोवारुणनयणनिय - | रेण ॥ ४३ ॥ आभाइ निरब्भनिसिप्पडिबिंबियतारतारयप्पयरं । जं भत्तिनिब्भरामरविरइयसियकुसुमवरिसं व ॥ ४४ ॥ तम्मिं पविसिय नायज्जिएण दद्वेण गहिय कुसुमाई । आणंदपुलइयतणू पूयइ सो रिसहजिणनाहं ॥ ४५ ॥ तप्पुन्नपभावेणं रिद्धिं भोक्तुं भवम्मि तम्मि ततो । जातो तं खयरवई इय कहियं राय तुह चरियं ॥ ४६ ॥ तं सोडं | जाईसरणनाणविन्नायपुवभवचरिओ । रायाह जह पहूहिं कहियं दिट्ठ मएवि तहा ॥ ४७ ॥ तो रयणाभरणमुणी भणइ मुर्णिदं कहेह मह भयवं । किं सुयसुयाण विरहो बहुथोवदिणाणि जाओ मे ॥ ४८ ॥ आह पहू आरामियपुत्तो कणकिन्ननामगामम्मि । आसी अंड ( ब ? ) यनामो कीरसुओ गोविओ तेण ॥४९॥ तो तं अनियंतं कीरजुयलमञ्चंतदुक्खियं जायं । करुणं कूयइ अंसूणि मुयइ मुच्छियएणुकलं ॥ १५० ॥ जणएणुत्तं पुत्तय मुंचसु तणयं सुयाणमिहिपि । मा पुत्तवित्ताणं | इमाणमञ्चाहियं होही ॥ ५१ ॥ तो तेणमइकंतेसु नवमुहुत्तेसु सुयसुओ मुक्को । तो संजातो तोसो कीरीकलियम्स की रस्स | ॥ ५२ ॥ समयंतरंमि कम्मिवि अवहरिया सारसीसुया तेण । तो तज्जणणिं दुहियं दहुं सहसति सा मुक्का ॥ ५३ ॥ कइयावि मासखमणे आरामे तंमि संतियं साहुं । निचंपि पज्जुवासइ भत्तिब्भरनिब्भरो संतो ॥ ५४ ॥ भोयणकरण निविद्वेण | तेण तत्थेव मासपारणए । पडिला हितो मुणी सो सद्भासहियेण परमन्नं ॥ ५५ ॥ तप्पुन्नपभावा सो अमरो होउं तुमं कुसुमपूजायां कुसुमशेखर कथा
SR No.034167
Book TitleAnantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherRaichand Gulabchand Shah
Publication Year1940
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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