SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लग्नचामरहस्तश्रीशारदापरिवीजिता । लज्जापदसमाराध्या लंपटा लकुलेश्वरी ||३७|| लब्धमाना लब्धरसा लब्धसंपत्समुन्नतिः । (ही) होंकारिणी ह्रींकाराद्या हींमध्या हीशिखामणिः ||३८|| ह्रींकारकु डाग्निशिखा ह्रींकारशशिचंद्रिका | ह्रींकार भास्कर रुचिकारांभोदचंचला ||३९| ह्रींकार कंदांकुरिका हींकारैकपरायणा । ह्रींकारदोर्घिकासी ह्रींकारोद्यानकेकिनी ||४० ॥ होकारारण्यहरिणी ह्रींकारावालवल्लरी | होकार पंजरशुकी ह्रींकारांगणदीपिका ||४१ ॥ ह्रींकारकंदरासिद्दीं ह्रींकारांभोजभूगिका । ह्रींकार सुमनोमाध्वी कारतरुमंजरी ||४२॥ (स) सकाराख्या समरसा सकलागमसंस्तुता । सर्ववेदांततात्पर्यभूमिः सदसदाश्रया ||४३|| सकला सच्चिदानंदा साध्वी सद्गतिदायिनी । सनकादिमुनिध्येया सदाशिवकुटुंबिनी ॥ ४४ ॥ सकलाधिष्ठानरूपा सत्यरूपा समाकृतिः । सर्वप्रपंच निर्मात्री समानाधिकवर्जिता ॥ ४५ ॥ सर्वोत्तगा संगहीना सद्गुणा सकलेष्टदा । (क) ककारिणी काव्यलोला कामेश्वरमनोहरा ||४६ ॥ कामेश्वरप्राणनाडी कामेशोत्संगवासिनी । कामेश्वरालिंगितांगी कामेश्वर सुखप्रदा ॥४७॥ कामेश्वरप्रणयिनी कामेश्वरविलासिनी । कामेश्वरतपःसिद्धिः कामेश्वरमनःप्रिया ॥ ४८॥ कामेश्वरप्राणनाथा कामेश्वरवि मोहिनी | कामेश्वरब्रह्मविद्या कामेश्वरगृहेश्वरी ||४९ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.034160
Book TitleVidyopasna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherHimmatram Yagnik
Publication Year1987
Total Pages141
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy