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________________ स्नेही स्व४नो, यहीं लग्नविधि संपन्न थाय छे. आापना खाससलर सहभागे जा विधिने बंधु मंगलमय जनावी छे. जा जवसरे 'रानमा परिवार' जने 'होशी परिवार' वतीथी साप सोनो जालार भानीसे छीजे. साप प्रलुने प्रार्थी के जेनी पृथा हीसि - ४न वननुं प्रत्येक सुज खर्चे जने जन्मे जेजीभना खात्मानां सायां साथी जनी रहे. जा विधि समे शऽयं योऽसा तथा लावपूर्व 5री छे. छतांय क्षति रही ग होय तो प्रभु पासे नतमस्त क्षमा प्रार्थी से छीजे. च्छामि जमासो, वंहि भवशिभ्भजे निसी हिज़ारो भत्थसेा वंहामि ॥ ॐ आज्ञाहीनं, प्रियाहीनं, मंत्रहीनं य यत्कृतम् । तत्सर्वं कृपया हेवाः क्षभयन्तु परमेश्वराः ॥ आवाहनं न भनाभि, न भनामि विसनम् । भविधिं न भनाभि, प्रसीह परमेश्वर ॥ (लावार्थ : हे गुरुहेव हु भारी समग्र शक्तिसहित जने पापरहित शरीर वडे साधने नतमस्त वांध्वाने छच्छु छु. ॐ हे परम मैश्वर्यशाली हेवो, में ने नाज्ञाहीन, डियाहीन डे मंत्ररहित धर्म होय ते सर्वने कृपा परीने क्षभा रो. हे परमेश्वर! हुं आवाहननी विधि भएातो नथी के नथी भागतो विसन. हुं भविधि पडा भातो नथी, तो (पा) भारा पर प्रसन्न थाजो.)
SR No.034157
Book TitleJain Marriage Ceremony Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherPallavi and Dilip Mehta
Publication Year1997
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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