SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ aaiiisittinu team ज Hg -सने हवे पिनेश्वर लगवंतनी साक्षीने मेहमीशनां अनेल हीस्ति-नना गृहस्थछवनभां भांगल्य रहे, सेभनो प्रेभ अभर रहे. सनेवनभांप्रत्येपणेसुशांति प्राप्तथाथ-मेलावनाथीभंगलाष्टा गवाशे. || मंगलाष्ट || वंही लावथी सर्व संत १नने, श्रद्धा थडी पूछने है ने मंत्र महा १गे घ्यथी, तार्या सहु वने मेरो नित्य वहावी हर्षथी सही, गंगा अधे प्रेभनी सेवा वीर महाप्रभु युगल-, पुर्यात् सहा भंगलम् ।।१।। प्रहलांडे लहरावी भाव थष्ठी मा, यो ध्वी धर्मनी ने सौछवता थथा हरजथी, जंधु जरा मात्भना सौ तीर्थहरन शासनता, शांति सुधा अपंता मान सभ हीति नेनन, इर्थात् सहा भंगलम् ॥२॥ पोषी नेहथी, नि१ संभहीं है,हेते अलावी सहा वाणी ना मुटु तालरी ही सरी, Eही भुजेथी परा सीथी संस्कृतिमीर से निशहिने, EEL थया पू . 'सुशीला-रभरि' नेहराशा, इर्थात् सहा भंगलम् ॥ GIGIG
SR No.034157
Book TitleJain Marriage Ceremony Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherPallavi and Dilip Mehta
Publication Year1997
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy