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________________ ४० तत्त्वार्थ सूत्र अन्नपान निरोध-ये अहिंसाणुव्रत के पाँच अतिचार हैं । मिथ्योपदेश-रहस्याभ्याख्यान-कूटलेखक्रियान्यासापहार साकारमन्त्रभेदाः ॥२१॥ अर्थ - सत्यव्रत के पाँच अतिचार हैं - मिथ्या-उपदेश, रहस्य-अभ्याख्यान, कूटलेखक्रिया न्यास-अपहार और साकारमंत्रभेद । स्तेनप्रयोग-तदाहृतादान-विरुद्धराज्यातिक्रमहीनाधिक-मानोन्मान-प्रतिरूपक- व्यवहाराः ॥२२॥ अर्थ - स्ते न- प्र योग, तदाहृतादान, विरुद्धराज्यातिक्रम, हीनाधिकमानोन्मान और प्रतिरूपक व्यवहार - ये पाँच तीसरे अस्तेय अणुव्रत के अतिचार हैं। परविवाह करणेत्वर परिग्रहीता-ऽपरिग्रहीतागमनाऽनङ्गक्रीडा तीव्रकामाभिनिवेशाः ॥२३॥ अर्थ - परिविवाहकरण, इत्वरपरिग्रहीतागमन, अपरिग्रहीतागमन, अनंगक्रीडा और तीव्रकामाभिनिवेश - ये पाँच ब्रह्मचर्याणुव्रत के अतिचार है। क्षेत्र-वास्तु-हिरण्य-सुवर्ण-धन-धान्य-दासी-दासकुप्य-प्रमाणा-ऽतिक्रमाः ॥२४॥ अर्थ - क्षेत्र-वास्तु, हिरण्य-स्वर्ण, धन-धान्य, दासदासी और कुप्य-इन पाँचों के निश्चित परिमाण से अधिक वस्तु लेना परिग्रह परिमाण व्रत के अतिचार हैं ।
SR No.034154
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
Author
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar
Publication Year2018
Total Pages62
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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