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________________ "ज़रूर, ये भी कोई कहने की बात है ?" क्या देखेंगे ? सुंदरता ?.... सम्पत्ति.... या शिक्षा ?... "क्या बात करते हो ? मुझे लगता है तुम पागल हो गये हो। अमरिका की लड़की से तेरी सगाई हो गई और तुमने तभी कह दिया, कि उसे स्मरण... क्यां बोले थे तुम ?" "हाँ, जब उसे पंच प्रतिक्रमण, नवस्मरण, चार प्रकरण, तीन भाष्य और छ कर्मग्रंथ आ जायेंगे, उस के बाद हमारी शादी होगी।" "क्या वाहीयात, बकवास है। लगता है तू उस अमरीकी लड़की को कँवारी ही रखना चाहता है, और हाँ तू भी कँवारा ही रहेगा, ठीक है न? बाय द वे, अभी वह कितनी पढ़ी है।" "नवकार, ओन्ली नवकार।" "हो गया काम ! तब तो तेरी शादी हो चुकी।" "हल्लो, जीमित, मुझे अभी तेरी शादी का निमंत्रण कार्ड प्राप्त हुआ है। बहुत बधाई, क्या तुझे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ ?... क्या यह वही लड़की है, जिसके साथ तूने पिछले साल..." "जिमित. जिसके साथ मैं अपने दिल को खोल कर हर बात कर सकता हूँ, ऐसा तू बस एक ही व्यक्ति है। आज तुझे घर बुलाया है, तो उसका एक विशेष कारण है। मम्मी-पापा उपधान हेतु गये हैं और वह राखी बाँधने अपने मायके गई है। जिमित, मैं इतना दुःखी हो चुका हूँ, कि मर जाने के विचार आते हैं। उसका स्वभाव निष्ठुर है, एक दम कठोर। सारा दिन माँ के साथ लड़ती रहती है। छोटी सी बात में रोने लगती है और तो और जोर-जोर से बोल कर सारे अपार्टमेन्ट को हिला देती है। मैं थका हारा रात को घर आता है, थकावट, व्यापार के टेंशन और आराम की सख्त ज़रूरत होती है... ये सब कुछ उसे दिखाई नहीं देता, मुझे रात को एक-डेढ़ बजे तक बस उसकी फरियादें सुननी पड़ती हैं। बस, मशीनगन की तरह वह बोलती ही रहती है, मुझे कुछ बोलने का अवसर भी नहीं देती। कई बार मन ऐसा होता है कि मैं घर जाऊँ ही नहीं, लेकिन अगर घर नहीं जाऊँ तो कहाँ जाऊं... इतनी पढ़ी लिखी है लेकिन कोई मेनर या कॉमनसेंस, विवेक जैसा कुछ भी.... अगर पड़ौस में वह कहीं कुछ देख आए या टी.वी.-अखबार में कुछ देख ले तो समझो कि मैं तो मर गया। यानि जब तक वह वस्तु ला कर न दो तब तक छुटकारा नहीं हो सकता, ला कर देनी ही पड़ती है। उसे महंगाई नहीं दिखती, व्यापार में आई मंदी नहीं दिखती और ना ही मेरी केपेसिटी का ख्याल है उसे। घर के काम जैसे वैसे पडे है तो पडे रहे लेकिन उसके मेकअप और टिप टॉप होने में से उसे फुर्सत ही नहीं मिलती और हाँ, उसे कुछ भी कहने का खतरा कौन मोल लेगा? जिमित, तू इस बातको अपने तक ही रखेगा। इस बात का मुझे पूरा विश्वास है, इसीलिए तुझे कहता हूँ। वह "नेट' पर घंटो व्यतीत करती है और वो क्या करती है इस बात को गुप्त रखने में वह बहुत सावधान होती है। वैसे भी उसके बंद कमरे को खटखटाने की किसी की हिंमत नहीं होती। वह शॉपिंग "तो क्या तूने अपनी शर्तों के साथ समझौता कर लिया ?" "नहीं, बिल्कुल नहीं।" "तो क्या बारह महीने में लड़की की शिक्षा इतनी हो गई ?" "ऑफकोर्स यस, ये संभव था और मुझे इस का पता था। तू कोशिश करे, तो तेरा भी इतना अभ्यास हो जाए, और वह भी उतने ही समय में।" “ओ.के. यार तू जीता, लेकिन जीत कर तूने पाया क्या, मुझे ये समझ में नहीं आता है ?" "चिंता मत कर, ये समझाना भी संभव है। अब इस बात को छोड़ दे। शादी में परिवार के साथ ज़रूर आ जाना ।" - - Before You Get Engaged आप सगाई करें उससे पहले
SR No.034136
Book TitleSagai Karne Pahele
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyam
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar
Publication Year2018
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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