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________________ बहुत बार मैं गम खा जाता और कई बार अपना मन किसी अन्य विषय में लगाने का प्रयत्न करता, कई बार हमारा झघडा हो जाता, भयंकर झघड़ा। वो जिस पावर से मेरी बात को काटती और मेरा अपमान करती, उससे मुझे बहुत दर्द होता जैसे वो मेरी छाती में खंजर भौंक रही हो । सनी, कई बार मुझे ऐसा खयाल आता कि जो लडकियाँ या स्त्रियां ऐसे बेशर्मी भरे कपडे पहन कर घर के बाहर निकलती हैं क्या वे कभी शीशें में अपना फ्रन्ट और बेक नहीं देखती होंगी? क्यां उन्हें इतना भी कॉमन सेन्स नहीं होता होगा कि उन्हें ऐसा दृश्य अपनी पति के अलावा किसी और को भी नही बताना चाहिए? क्या उन्हें इतना खयाल नहीं आता होगा कि पब्लिक में उनका ऐसा दिखाई देना एक बीभत्स प्रदर्शन बन रहा है? या उनके मन की गहराई में सब को इम्प्रेस करने की एक ख्वाहिश होगी ? सनी, क्या इसे सीधे-सीधे या परोक्ष रूप से कोई दूसरा पति तलाश करना नहीं कहेंगे ? सब से बड़ा प्रश्न ये है कि क्या उनके घर में पिता, भाई, पुत्र या देवर वगैरह नहीं होंगे ? त्विषा की एक-एक आदत मेरे लिये मौत बनती गई। वह जिस किसी के भी साथ हँस-हँस कर बातें करती। कोमेन्ट करती, बेशर्म बन कर हाथ भी मिलाती। कई बार अपना बचाव करते हुए यूँ कहती, "इस में क्या हो गया ? मैं तो सिर्फ तुम्हें ही चाहती हूँ, सिर्फ तुम्हें। लेकिन अंत में वही हुआ जिस का मुझे डर था। त्विषा का व्यवहार तेजी से बदलता जा रहा था। मैं कई बार उसे किसी और ही दुनिया में खोयी हुई देखता । जब उसे ख्याल आता कि पास में मैं भी खड़ा हुआ हूँ तब मानो उसकी चोरी पकड़ी गई हो इस तरह वह किसी काम को करने में व्यस्त हो जाती। पहले तो जब दफ्तर से मैं वापस आता तब मेरा कोई खास ध्यान नहीं रखती, लेकिन फिर जैसे बहुत प्यार दर्शाती, मेरा सुटकेस हाथ में ले लेती, मेरे जूते, जुराबें निकालती, पानी देती... मैं भी कोई बुद्ध नहीं था। मैं समझ रहा था कि यह उसका असली व्यवहार नहीं है, बल्कि किसी बड़े गुनाह को ढँकने का प्रयास है। मुझे रोज बरोज दफ्तरसे आने में देरी हो जाती और बार बार टूर पर Before You Get Engaged ૨૩ - भी बिझनेस के लिये जाना पडता था। दूसरी तरफ घर खर्च के बहाने वह अधिक से अधिक पैसो की मांग करने लगी। छ महीनों में तीन बार उस के अलग अलग तरह के गहने चोरी हो गए। वे गहने कहाँ-कब कैसे चोरी हो गए उसके बारे में उसने जो उत्तर दिए वो मेरे गले के नीचे नहीं उतरते थे। उस का स्वास्थ्य ठीक लग रहा था, फिर भी उसने फिजीशीयन्स को दिखाने के लिए अमुक रिपोर्टस हेतु बड़ी रकम की मांग की। मैंने अपनी बचत के पैसों में से व्यवस्था की और उसे कहा कि चलो मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ। उसने साफ इंकार कर दिया। फिर से घरमें से दो-तीन किंमती वस्तुएं गुम हो गई। सब कुछ विचित्र सा हो रहा था, और मैं तो तेजी से खाली हो रहा था। उस ने फिर एक बड़ी रकम की मांग की। और इस बार उसने कहा, "उसे इस साल भर का राशन- गेहूँ और चावल खरीदने हैं। मुझे शंका तो थी ही। मैंने घर में ड्रमो की खोज की वे सब अनाज से भरे हुए थे और सीझन आने में अभी छ महीने बाकी थे। मैंने भी बहाना लगा कर इंकार कर दिया। तब मैंने निरीक्षण किया कि वह बेहद घबरा सी गई। दो दिन के बाद उसने फिर किसी काम के लिए पैसे मांगे। मैंने उसके लिये साफ इंकार कर दिया और कहा, “दो महीने तक कोई भी व्यवस्था हो पानी संभव नहीं है।" वह घबरा गई और रसोईघर में चली गई। रसोईघर का दरवाजा भी बंद हो गया। सनी, इस बात के ठीक एक सप्ताह के बाद मुझ पर एक एम. एम. एस. आया, जिस पर से ऐसा लगा मानो मुझ पर आकाश टूट पड़ा है... त्विषा किसी के साथ... मुझे ऐसी शंका तो थी ही, तथापि मैं उसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। वह कम्प्युटर प्रोडक्ट होगी ऐसी संभावना करने के लिए मैं मर रहा था, लेकिन मुझे ये खयाल आ गया, कि मैं अपने आप को धोखा दे रहा हूँ। अगले चार दिनों में मुझे अलग अलग चार एम. एम. एस. मिले। उनमें जो टेक्स्ट मेसेज था, उस में त्विषा के बोडी स्पोट्स के बारे में लिखा था, जो सत्य थे। मेरा सिर घूमने लगा । त्विषा आऊट लाईन पर चली गई थी और उसके यार ने उसे ब्लेकमेल कर कर के मेरा घर खाली कर दिया था, इस आप सगाई करें उससे पहले औ ૨૪
SR No.034136
Book TitleSagai Karne Pahele
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyam
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar
Publication Year2018
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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