SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अज्ञात www.kobatirth.org चौदहवीं सदी ( 50 ) अज्ञात ८० (९०) साऊका पार्श्वनाथ स्तवनम् गा० १० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदि - सिरि सोहंत फणामणि मालं, श्रमि चंद सरिस सम भालं । , रवि ससिहर कुडल संकासं वंदे साऊ जिनहरि पासं ॥ १ सायर सरिहर निरमल काय, मोंड़िय मयण महाभड़ि वायं । पूरिय [मन] वछित [ सहु] आस, वेदे साऊ जिणहरि पासं ||२ अन्त - वंम्मा कुविख सरोवर हंस, अससेण नरवइ पयड़िय वंसं । केवल लच्छि विलास निवास, वंदे साऊ जिणहरि पास ॥ देखिय साऊय सेठि विहार, सुरपति भुवण सरिस जगि सारं । धंनु सु वरिस दिवसु सुमासं, वंदे साऊ जिणहरि पासं ॥ १० प्रतिलिपि - अभय जैन ग्रन्थालय (८१) अज्ञात (९१) कोका पार्श्वनाथ स्तव० गा० ३० अपूर्ण [ ५७ भविक लोक तम्हि मन माहि ध्याउ, आदि - प्रससेणि रायकुलि अवतरीउ, हेला मांहि जीणइ जग उधरीउ, उदयउ अभिनव चंदो ॥१ तावि माए विहि ऊयरिइं धरीउ, वाणारसी नयरी अवतरीउ, की मनि प्रारदो ॥२ अन्त - कोकउ पारिसनाथ बखाणंउ, साम्ह कई गुण पार न जाणु चितामणि अवतारो ||३० For Private and Personal Use Only .... प्रतिलिपि - प्रभय जैन ग्रन्थालय
SR No.034112
Book TitleJain Maru Gurjar Kavi Aur Unki Rachnaye
Original Sutra AuthorAgarchand Nahta
Author
PublisherAbhay Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy