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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अज्ञात आदि अन्त www.kobatirth.org चौदहवीं सदी ( ३६ ) प्रज्ञात (४६) श्री जम्बू स्वामि सत्क वस्तु ( वस्तु छंद २१ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंबु दीवहभरह खित्तंमि रायग्गहु वर नरु, उसभदत्तु तर्हि सिट्टि निवसइ । तसु गेहिणि धारिणिय, तासु पुत्त जंबू भणिज्जइ || उवरोहिण सबणह तणइ, कुमरु मनाविउ जाव । श्रट्ठ कन्नवर रूव घर, बप्पु वरावर तांत्र ॥। १ • इत्थ चितहिं २ चोर सइ पंच, far जम्मु अम्मह तणउ, वारवार कुकम्मि वट्टई । एहु कुमरु वर भोजपुर, परिहरेवि धम्मेण वट्टइ । नव हियं पुण पंचसय ( ५०६ ), पड़िबुद्धा तहि ठावि । जंबु कुमरु संजम लियइ, दियइ सु सोहम्म सामि ॥२० सुअतुल संजम २ पवर चारित वर सील संजम सहिय, दुहिय जीव संसार तार । करुणामय मयरहर, रोय-रोय निच्छइ निवारणु जय जय गणहर धम्म वर, जय जय सिव सुह समि सयल संघ दुरियई हरउ, गणहरु जंबूउ सामि ॥ २१ For Private and Personal Use Only [ ३३ (सं० १४३७ लि०) प्र० साहित्य ( पटना मासिक)
SR No.034112
Book TitleJain Maru Gurjar Kavi Aur Unki Rachnaye
Original Sutra AuthorAgarchand Nahta
Author
PublisherAbhay Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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