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________________ दो आलसी किसी समय एक राज्य में बहुत सारे आलसी लोग हो गए । उन्होंने सारा काम-धाम करना छोड़ दिया। वे अपने लिए खाना भी नहीं बनाते थे। एक दिन सभी आलसियों ने राजा से जाकर कहा कि राजा को आलसियों के लिए एक आश्रम बनवाना चाहिए और उनके खाने की व्यवस्था करनी चाहिए। राजा यह देखकर परेशान हो गया। कुछ सोचकर उसने अपने मंत्री को आलसियों के लिए एक बड़ा आश्रम बनाने का आदेश दिया। आश्रम के तैयार हो जाने पर सभी आलसी वहां जाकर सोने और खाने लगे। एक दिन राजा ने अपने मंत्री को आलसियों के आश्रम में आग लगाने को कहा। आश्रम को जलता देखकर सभी आलसी तुरत-फुरत वहां से बच निकलने के लिए भाग लिए । जलते हुए आश्रम के भीतर अभी भी दो आलसी सो रहे थे पहले आलसी को पीठ पर आग की गरमी लगने लगी। उसने अपने आलसी दोस्त को यह बताया। "दूसरी करवट पर लेट दूसरे आलसी ने पहले को सुझाव दिया। जाओ यह देखकर राजा ने अपने मंत्री से कहा हैं। इन्हें भरपूर सोने और खाने दिया जाए" । 133 73 "केवल यही दोनों व्यक्ति ही सच्चे आलसी
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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