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________________ दक्षिणा के मोती उसने नदी के तट पर गुरुदेव ध्यानसाधना में लीन थे। उनका एक शिष्य उनके पास आया। गुरु के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना के कारण दक्षिणा के रूप में गुरु के चरणों के पास दो बहुत बड़े-बड़े मोती रख दिए। गुरु ने अपने नेत्र खोले। उन्होंने एक मोती उठाया, लेकिन वह मोती उनके उनकी उँगलियों से छूटकर नदी में गिर गया। यह देखते ही शिष्य ने नदी में छलांग लगा दी। सुबह से शाम तक नदी में दसियों गोते लगा देने के बाद भी उसे वह मोती नहीं मिला। अंत में निराश होकर उसने गुरु को उनके ध्यान से जगाकर पूछा "आपने तो देखा था कि मोती कहाँ गिरा था ! आप मुझे वह जगह बता दें तो मैं उसे ढूंढकर वापस लाकर आपको दे दूँगा।" गुरु ने दूसरा मोती उठाया और उसे नदी में फेंकते हुए बोले "वहां।" - 889 68
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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