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________________ सपना एक पुरानी कहानी में एक औरत को हर रात यह सपना आता है कि एक बड़े भुतहे से मकान में एक दैत्य उसका पीछा कर रहा है। रात-दर-रात यही सपना उसे डराता रहता है। सपने में उसे लगता है कि दैत्य के नुकीले पंजे उसे अगले ही पल अपनी गिरफ्त में ले लेंगे और... यह सब उसे बहुत वास्तविक लगता है। और फ़िर एक रात वही सपना फ़िर से आता है। इस बार दैत्य बेचारी औरत को घेर लेता है। वह अब ऐसे कोने में फंस गई है कि वहां से बाहर बच निकलने का कोई रास्ता नहीं है। मौत सामने देखकर औरत दैत्य से पूछने का साहस कर बैठती है: "तुम कौन हो!? मेरा पीछा क्यों करते हो? क्या तुम मुझे मार डालोगे?" यह सुनकर दैत्य रुक गया। उसके भयानक चेहरे पर विस्मय के भाव उभर आए। अपनी कमर पर दोनों हाथ रखकर वह मासूमियत से बोला - "यह मैं कैसे बता सकता हूँ!? ये तो तुम्हारा सपना है!" 60
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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