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________________ महल या सराय? एक प्रसिद्द ज़ेन महात्मा किसी राजा के महल में दाखिल हुए। उनके व्यक्तित्व की गरिमा के कारण किसी भी द्वारपाल में उनको रोकने का साहस नहीं हुआ और वे सीधे उस स्थान तक पहुँच गए जहाँ राजा अपने सिंहासन पर बैठा हुआ था। राजा ने महात्मा को देखकर पूछा - "आप क्या चाहते हैं?" "मैं इस सराय में रात गुजारना चाहता हूँ" - महात्मा ने कहा। "लेकिन यह कोई सराय नहीं है, यह मेरा महल है" - राजा ने अचम्भे से कहा। महात्मा ने प्रश्न किया - "क्या आप मुझे बताएँगे कि आप से पहले इस महल का स्वामी कौन था?" राजा ने कहा - "मेरे पिता। उनका निधन हो चुका है।" "और उन से भी पहले?" - महात्मा ने पूछा। "मेरे दादा, वे भी बहुत पहले दिवंगत हो चुके हैं" - राजा बोला। महात्मा ने कहा - "तो फ़िर ऐसे स्थान को जहाँ लोग कुछ समय रहकर कहीं और चले जाते हैं आप सराय नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?" 42
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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