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________________ स्वर्ग और नर्क नोबुगिशे नामक एक सैनिक ज़ेन गुरु हाकुइन के पास आया और उसने उनसे पूछा - "क्या स्वर्ग और नर्क वास्तव में होते हैं?" "तुम कौन हो? हाकुइन ने पूछा। - सैनिक ने उत्तर दिया "मैं समुराई हूँ" । - "तुम सैनिक हो?" हाकुइन ने आश्चर्य से कहा - "तुम्हारे जैसे व्यक्ति को कौन राजा अपना सैनिक बनाएगा? तुम भिखारी की तरह दिखते हो" । नोबुगिशे को यह सुनकर इतना क्रोध आया कि उसका हाथ अपनी तलवार की मूठ पर चला गया। हाकुइन ने यह देखकर कहा "अच्छा! तो तुम्हारे पास तलवार भी है। लेकिन इसमें इतनी धार नहीं कि यह मेरा सर कलम कर सके " । - अब नोबुगिशे ने तलवार झटके से म्यान से निकाल ली। हाकुइन ने कहा नर्क का द्वार खुल गया"। हाकुइन ने कहा कहा - "देखो, स्वर्ग का द्वार खुल गया" । यह सुनते ही समुराई को हाकुइन का मंतव्य समझ में आ गया। उसने तलवार नीचे रख दी और के समक्ष दंडवत हो गया। गुरु 34 - "देखो,
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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