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________________ जार्ज बर्नार्ड शा की कमाई इंग्लैंड के प्रसिद्द साहित्यकार - नाटककार जार्ज बर्नार्ड शा को प्रारम्भ में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी चिर-परिचित शैली में कहा है- "जीविका के लिए साहित्य को अपनाने का मुख्य कारण यह था कि लेखक को पाठक देखते नहीं हैं इसलिए उसे अच्छी पोशाक की ज़रूरत नहीं होती। व्यापारी, डाक्टर, वकील, या कलाकार बनने के लिए मुझे साफ़ कपड़े पहनने पड़ते और अपने घुटने और कोहनियों से काम लेना छोड़ना पड़ता। साहित्य ही एक ऐसा सभ्य पेशा है जिसकी अपनी कोई पोशाक नहीं है, इसीलिए मैंने इस पेशे को चुना है । " फटे जूते, छेद वाला पैजामा घिस घिस कर काले से हारा भूरा हो गया ओवरकोट, बेतरतीब तराशा गया कॉलर, और बेडौल हो चुका पुराना टॉप यही उनकी पोशाक थी। - बहुत लंबे समय तक शा लिखते गए लेकिन उनकी किसी भी रचना को प्रकाशन योग्य नहीं समझा गया। किसी प्रकाशक ने कुछ पुराने ब्लॉक खरीद कर स्कूलों में ईनाम देने के लिए कुछ किताबें तैयार करवाई। उसने शा से कहा कि वे ब्लॉकों के नीचे छापने के लिए कुछ कवितायें लिख दें। शा को इसमें धन प्राप्ति की कोई उम्मीद नहीं थी उन्हें सुखद आश्चर्य हुआ जब प्रकाशक ने कविताओं के लिए धन्यवाद पत्र के साथ पाँच शिलिंग भी भेजे। अपने साहित्यिक जीवन के प्रारंभिक नौ वर्षों में लिखने की कमाई से वे केवल छः पौंड ही प्राप्त कर सके, लेकिन शा ने लिखना नहीं छोड़ा और वे बीसवीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्द अंग्रेजी नाटककार बन गए। उन्हें साहित्य का नोबल पुरस्कार भी दिया गया। 174
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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