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________________ असंतोष का उपचार कैसे करें? "तृष्णा से बड़ा पाप कोई नहीं है, असंतोष से बड़ा श्राप कोई नहीं है, कुछ पास न होने से बड़ा संताप कोई नहीं है। जिसने भी यह जाना कि उसके पास जितना है बहुत है, उसके पास सदैव बहुत ही रहेगा" - लाओ-त्जु * * * * * मैं कल अपनी एक परिचित से बात कर रहा था। बाहर से देखें तो लगता है कि उसके पास सब कुछ है: शानदार घर जिसमें स्वीमिंग पूल भी है, बहुत अच्छा पति, दो प्यारे-प्यारे बच्चे, और आरामदायक ज़िन्दगी। वार्तालाप के दौरान बात घूमफ़िर कर संतोषप्रद जीवन पर आ गई। उसने कहा - "वही तो मैं चाहती हूँ - मैं संतुष्ट नहीं हूँ"। उसकी आँखों में आंसू आ गए। मेरा भी दिल भर आया। वह ऐसी अकेली महिला नहीं है। बहुत लोगों को यह लगता है कि उनके जीवन में कुछ कमी है। उन्हें लगता है कि अपने सारे सपने पूरे कर लेने के बाद भी वे खुश नहीं हैं, संतुष्ट नहीं हैं, उनके जीवन में खालीपन है। मैं भी अपने जीवन में ऐसे कई पड़ावों से गुज़रा हूँ और मैंने बड़ी मुश्किल से उन्हें पार किया है। मुझे मालूम है कि उनसे जूझना मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं। मेरी ज़िन्दगी में ऐसे सभी मौकों पर जब मुझपर असंतोष हावी होने लगा तब मैंने पाया कि नीचे लिखी तीन बातों पर अमल करके मैं उससे निपट सकता हूँ: १-अपना नजरिया और परिप्रेक्ष्य बदलना २- कोई सकारात्मक काम करना ३- कुछ ऐसा करना जो जीवन को नया अर्थ देता हो ये बातें एक साथ अमल में ली जा सकती हैं या अलग-अलग, या जैसे भी आप चाहें। ये साथ में भी प्रभावी हैं और अकेले भी। इनपर क्रमशः विस्तार से बात करेंगे: अपना नजरिया और परिप्रेक्ष्य बदलना 159
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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