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________________ त्रासदी या आशीर्वाद? लगभग १०० साल पुरानी बात है। स्कॉटलैंड में रहनेवाले क्लार्क परिवार का दसियों सालों से देखा जा रहा सपना पूरा होनेवाला था। क्लार्क दंपत्ति ने स्वयं के और अपने नौ बच्चों को अमेरिका में बसाने के लिए इतने रुपये जमा कर लिए थे कि वे सभी अमेरिका जानेवाले एक पानी के जहाज पर यात्रा कर सकते थे। दूर देश की रोमांचक यात्रा और नई जगह पर जाकर बसने की उम्मीदों और उत्साह ने उनके जीवन में नया रंग भर दिया। लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। यात्रा के एक सप्ताह पहले सबसे छोटे बच्चे को कुत्ते ने काट लिया। उन दिनों कुत्ते के काटने का कोई इलाज नहीं था। डाक्टर ने बच्चे के घाव को साफ़ करके घर के दरवाजे पर पीला कपड़ा टांग दिया। अब दो सप्ताह तक इंतजार करके देखना था कि घाव प्राणघातक रैबीज में बदलता है या नहीं। क्लार्क परिवार का सपना चूर-चूर हो गया। इतने छोटे बच्चे को छोड़कर वे अमेरिका नहीं जा सकते थे। बच्चे को लेकर जाना भी सम्भव नहीं था। पिता ने अमेरिका जाने वाले भव्य जहाज को अपनी आँखों से ओझल होते देखा और अपनी उम्मीदों पर पानी फेरने के लिए बच्चे को, भगवान् को, कुत्ते को, और सभी को जी भर के कोसा। पाँच दिन बाद पूरे स्कॉटलैंड में एक दुखभरी ख़बर आग की तरह फैल गयी - कभी न डूबनेवाला विराट जहाज टाइटैनिक अपने डेढ़ हज़ार यात्रियों के साथ अटलांटिक में डूब गया था। क्लार्क परिवार उसी जहाज में यात्रा करनेवाला था लेकिन छोटे पुत्र को कुत्ता काटने के कारण यात्रा स्थगित कर दी गयी थी। जब मिस्टर क्लार्क ने यह ख़बर सुनी तब उन्होंने अपने पुत्र को गले से लगा लिया और अपने परिवार की रक्षा करने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया। इसे समझना मुश्किल है परन्तु हर घटना के पीछे कोई-न-कोई कारण ज़रूर होता है। 105
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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