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________________ • अर्चयस्व हृषीकेशं यदीच्छसि परं पदम् . [संक्षिप्त पद्मपुराण भगवान्के दिव्य विग्रहको देखकर वसुदेवजी पालन-पोषण किया, उन दोनों खियोंका परिचय दीजिये। पुलस्त्यजी बोले-राजन् ! पुरुष वसुदेवजी कश्यप हैं और उनकी प्रिया देवकी अदिति कही गयी है। कश्यप ब्रह्माजीके अंश हैं और अदिति पृथ्वीका। इसी प्रकार द्रोण नामक वसु ही नन्दगोपके नामसे विख्यात हुए हैं तथा उनकी पत्नी धरा यशोदा है। देवी देवकीने पूर्वजन्ममें अजन्मा परमेश्वरसे जो कामना की थी, उसकी वह कामना महाबाहु श्रीकृष्णने पूर्ण कर दी। यज्ञानुष्ठान बंद हो गया था, धर्मका उच्छेद हो रहा था; ऐसी अवस्थामें धर्मकी स्थापना और पापी असुरोंका संहार करनेके लिये भगवान् श्रीविष्णु वृष्णि-कुलमें प्रकट हुए हैं। रुक्मिणी, सत्यभामा, ननजित्की पुत्री सत्या, सुमित्रा, शैब्या, गान्धार-राजकुमारी लक्ष्मणा, सुभीमा, मद्रराजकुमारी कौसल्या और विरजा आदि सोलह हजार देवियाँ श्रीकृष्णकी पत्नियाँ हैं। रुक्मिणीने बोले-'प्रभो ! इस रूपको छिपा लीजिये। मैं कंससे दस पुत्र उत्पन्न किये; वे सभी युद्धकर्ममें कुशल हैं। डरा हुआ हूँ, इसीलिये ऐसा कहता हूँ। उसने मेरे छः उनके नाम इस प्रकार है-महाबली प्रद्युम्न, रणशूर पुत्रोंको, जो देखनेमें बहुत ही सुन्दर थे, मार डाला है।' चारुदेष्ण, सुचारु, चारुभद्र, सदश्व, हस्व, चारुगुप्त, वसुदेवजीकी बात सुनकर भगवान्ने अपने दिव्यरूपको चारुभद्र, चारुक और चारुहास । इनमें प्रधुम्न सबसे बड़े छिपा लिया। फिर भगवान्की आज्ञा लेकर वसुदेवजी और चारुहास सबसे छोटे हैं। रुक्मिणीने एक कन्याको उन्हें नन्दके घर ले गये और नन्दगोपको देकर बोले- भी जन्म दिया, जिसका नाम चारुमती है। सत्यभामासे 'आप इस बालककी रक्षा करें; क्योंकि इससे सम्पूर्ण भानु, भीमरथ, क्षण, रोहित, दीप्तिमान्, ताम्रबन्ध और यादवोंका कल्याण होगा। देवकीका यह बालक जबतक जलन्धम-ये सात पुत्र उत्पन्न हुए। इन सातोंके एक कंसका वध नहीं करेगा, तबतक इस पृथ्वीपर भार छोटी बहिन भी है। जाम्बवतीके पुत्र साम्ब हुए, जो बड़े बढ़ानेवाले अमङ्गलमय उपद्रव होते रहेंगे। भूतलपर ही सुन्दर हैं। ये सौर-शास्त्रके प्रणेता तथा प्रतिमा एवं जितने दुष्ट राजा हैं, उन सबका यह संहार करेगा। यह मन्दिरके निर्माता हैं। मित्रविन्दाने सुमित्र, चारुमित्र और बालक साक्षात् भगवान् है। ये भगवान् कौरव- मित्रविन्दको जन्म दिया। मित्रबाहु और सुनीथ आदि पाण्डवोंके युद्धमें सम्पूर्ण क्षत्रियोंके एकत्रित होनेपर सल्याके पुत्र हैं। इस प्रकार श्रीकृष्णके हजारों पुत्र हुए। अर्जुनके सारथिका काम करेंगे और पृथ्वीको क्षत्रियहीन प्रद्युम्नके विदर्भकुमारी रुवमवतीके गर्भसे अनिरुद्ध करके उसका उपभोग एवं पालन करेंगे और अन्तमें नामक परम बुद्धिमान् पुत्र उत्पन्न हुआ। अनिरुद्ध समस्त यदुवंशको देवलोकमें पहुंचायेंगे। संग्राममें उत्साहपूर्वक युद्ध करनेवाले वीर हैं। भीष्मने पूछा-ब्रह्मन् ! ये वसुदेव कौन थे? अनिरुद्धसे मृगकेतनका जन्म हुआ। राजा सुपार्श्वकी पुत्री यशस्विनी देवकीदेवी कौन थीं तथा ये नन्दगोप और काम्याने साम्बसे तरस्वी नामक पुत्र प्राप्त किया। प्रमुख उनकी पत्नी महाव्रता यशोदा कौन थीं? जिसने वीर एवं महात्मा यादवोंकी संख्या तीन करोड़ साठ बालकरूपमें भगवान्को जन्म दिया और जिसने उनका लाखके लगभग है। वे सभी अत्यन्त पराक्रमी और
SR No.034102
Book TitleSankshipta Padma Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages1001
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size73 MB
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