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________________ रमण महर्पि अपने द्वार पर एक सुन्दर और देदीप्यमान नेत्रो वाले तेजस्वी ब्राह्मण युवक को देखकर गृहिणी उससे अवश्य प्रभावित हुई होगी। उमने उसके सामने खाना परोसा और जिस तरह दो दिन पहले गाडी मे पहला ग्रास खाने के बाद उसकी भूख शान्त हो गयी थी, उसी तरह यहाँ भी हुआ। वह गृहिणी माता के समान उसके पास खडी रही और उसने बडे स्नेह और आग्रह से उसे भोजन कराया। ___अव बालियो का प्रश्न था । उनकी कीमत वीस रुपये के लगभग होगी, परन्तु उनके बदले में उसे केवल चार रुपये उधार चाहिए थे ताकि अगर रास्ते मे कोई और व्यय हो तो उसकी पूर्ति हो सके। किसी प्रकार का सन्देह पैदा न हो, इसलिए उसने यह वहाना किया कि वह तीर्य-यात्रा पर जा रहा है और उसका सामान खो गया है, अब उसके पास कुछ नहीं रहा । मुथुकृष्णन ने वालियो की परीक्षा की और यह जाँचने के बाद कि वे असली सोने की हैं, उमे चार रुपये दे दिये। उसने युवक का पता नोट कर लिया और अपना पता उसे दे दिया ताकि वह अपनी वालियों किसी भी समय छडा सके । उस भद्र दम्पति ने दोपहर तक उसे अपने यहाँ टिकाया, उसे भोजन कराया और जो मिठाई उन्होंने श्रीकृष्ण की पूजा के लिए तैयार की थी, परन्तु जिमका अभी तक भोग नहीं लगा था, उसे एक वण्डल मे वांघकर दे दी। जैसे ही वह उस घर से रवाना हुआ उसने पता फाड दिया क्योकि उसका वालियां छुडाने का कोई इरादा नही था । जव उसे यह पता चला कि अगले प्रात काल तक कोई गाडी तिरुवन्नामलाई जाने वाली नहीं है, वह उस रात स्टेशन पर सो रहा । निर्धारित समय से पूर्व कोई व्यक्ति अपनी यात्रा समाप्त नही कर सकता । १ सितम्बर, १८६६ को प्रात काल, घर छोडने के तीन दिन वाद, वह तिरुवन्नामलाई स्टेशन पर पहुंचा। ___ जल्दी-जल्दी कदम बढाते हुए, हर्पोन्मत्त हृदय के साथ वह सीधे ही उम विशाल मन्दिर की ओर चल पडा । स्वागत के मौन सकेत के रूप मे सेहन की तीन ऊंची दीवारो के दरवाजे और अन्य सभी दरवाजे, यहाँ तक कि अन्दर के देवालय के दरवाजे भी खुले थे । अन्दर और कोई नहीं था, इसलिए उसने अकेले ही अन्दर के मन्दिर मे प्रवेश किया और अपने पिता अरुणाचलेश्वर के सम्मुख भावाभिभूत हो खडा रहा। मिलन के परमानन्द मे खोज पूर्ण हुई और यात्रा की समाप्ति हुई।
SR No.034101
Book TitleRaman Maharshi Evam Aatm Gyan Ka Marg
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAathar Aasyon
PublisherShivlal Agarwal and Company
Publication Year1967
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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