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________________ १३४ रमण महर्षि दी हुई भिक्षा का अवसर है और सभी को भोजन के लिए निमन्त्रित किया गया है। सेवक और ब्राह्मण महिलाएं पक्तियो मे बैठे हुए भक्तो को पत्तलो पर चावल, चटनी और सब्जी परोसते हैं। सभी व्यक्ति श्रीभगवान् द्वारा भोजन प्रारम्भ करने की प्रतीक्षा कर रहे है । जब तक सवको भोजन नही परोस दिया जाता श्रीभगवान् भोजन शुरू नहीं करते। सभी लोग दत्तचित्त होकर भोजन करते हैं, पश्चिम की तरह, भोजन के समय वार्तालाप नही होता । एक अमरीकी महिला, जिनके लिए भारतीय रीति-रिवाजो का पालन करना कठिन है, अपने साथ एक चम्मच लायी है । एक सेवक इन महिला की पत्तल पर कुछ सब्जियां रखता है और उनसे कहता है कि श्रीभगवान् के आदेशानुसार, यह विशेष रूप से तैयार की गयी हैं और इनमे गरम मसाले नहीं डाले गये जैसे कि सामान्यत डाले जाते हैं। शेप सब लोग हाथो से भोजन खाने मे निमग्न है । सेवक पक्तियो के वीच मे चलते हैं और पानी, छाछ, फल या मिठाई वांटते हैं। श्रीभगवान वडे क्रोध से एक सेवक को वापस अपने पास बुलाते है। जब कोई व्यक्ति असावधानी बरतता है तो उन्हे क्रोध आ जाता है। सेवक हर पत्तल पर चौथाई आम रख रहा है और उनकी पत्तल पर उसने आधा आम रख दिया है । वह इसे वापस रख देते है और सबसे छोटा टुकडा उठा लेते हैं। एक-एक करके सब लोग खाना समाप्त कर लेते है । जैसे-जैसे कोई खाना समाप्त करता जाता है वैसे-वैसे वह उठता जाता है और घर जाने से पहले वाहर टोटी पर हाथ धोने के लिए रुकता है। दो वजे तक श्रीभगवान् विश्राम करते हैं और सभा-भवन भक्तो के लिए बन्द कर दिया जाता है। आश्रम के प्रवन्धको ने निणय किया था कि उनके क्षीण स्वास्थ्य के कारण मध्याह्न विश्राम आवश्यक है, परन्तु यह कैसे हो। अगर उनसे कोई ऐसी सुविधा स्वीकार करने के लिए कहा जाता जिससे भक्तो को असुविधा होती तो वह सम्भवत इसका विरोध कर देते । यह खतरा मोल न लेकर उन्होने अनधिकृत रूप से यह परिवर्तन करने का निणय किया और भक्तो से निजी रूप से प्रार्थना की कि वह उस समय सभा-भवन में प्रवेश न किया करें । कुछ दिन तक तो यह प्रवन्ध ठीक से चलता रहा । एक दिन का जिक्र है नवागन्तुक जो इम नियम से परिचित नही था, मध्याह्न भोजन के वाद अन्दर चला गया । एक सेवक ने उसमे बाहर आने का सकेत किया परन्तु श्रीभगवान् ने उसे वापस बुला लिया और पूछा क्या बात है । अगले दिन मध्याह्न भोजन के बाद श्रीभगवान् को मभा-भवन के वाहर सीढियो पर बैठे हुए देखा गया और जब सेवक ने उनसे इस सम्बन्ध में पूछा तो उन्होंने कहा,
SR No.034101
Book TitleRaman Maharshi Evam Aatm Gyan Ka Marg
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAathar Aasyon
PublisherShivlal Agarwal and Company
Publication Year1967
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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