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________________ प्रेक्षाध्यान आधार द्रष्टा का दर्शन • एय पासगस दसण उवरयसत्थस्स पलियतकरस्स। आयारो ३१८५ यह अहिसक और निरावरण द्रष्टा का दर्शन है। प्रयोजन सत्य की खोज • अप्पणा सच्चमेसेजा, मेत्ति भूएसु कप्पए। उत्तरज्झयणाणि ६२ स्वय सत्य खोजे, सबके साथ मैत्री करे। आत्म-साक्षात्कार • सपिक्खए अप्पगमप्पएण। दसवेआलियं चूलिया २११२ आत्मा के द्वारा आत्मा को देखे। • वियाणिया अप्पगमप्पएण जो रागदोसेहि समो स पुजो।। दसवेआलियं ६।३।११ आमा को आत्मा के द्वारा जानकर जो रागद्वेष मे सम रहता है वह पूज्य होता है।
SR No.034100
Book TitlePreksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages41
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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