SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रत्येक व्यक्ति भयभीत है। अगर पवित्र पिता जिंदा रहना चाहते हैं तो इन बेचारे कैथेलिकों को क्यों दानी बनाया जाए? मैं तुम्हें कोई सांत्वना नहीं देने जा रहा हूं। मैं तुमसे नहीं कहने जा रहा हूं 'आत्मा शाश्वत है। चिंता मत करो, तुम कभी नहीं मरोगे केवल शरीर ही मरता है। मुझे पता है कि यह सत्य है, लेकिन इस सत्य को कठिन रास्ते से अर्जित करना पड़ता है। तुम किसी और के द्वारा इसके बारे में कहे गए कथन और वक्तव्य से नहीं सीख सकते। यह कोई वक्तव्य नहीं है, यह एक अनुभव है। मैं जानता हूं कि ऐसा है, लेकिन तुम्हारे लिए यह नितांत अर्थहीन है। तुम तो यह भी नहीं जानते कि जीवन क्या है। तुम यह कैसे जान सकते हो कि शाश्वतता क्या है? तुम समय में जीने में समर्थ तो हो नहीं पाए हो, तुम शाश्वतता में जीने में समर्थ कैसे हो पाओगे? कोई अमर्त्य के प्रति तभी जागरूक होता है जब वह मृत्यु को स्वीकार करने में समर्थ हो चुका हो। मृत्यु के द्वार के माध्यम से अमर्त्य अपने आपको प्रकट करता है। मृत्यु अमर्त्य के लिए अपने आपको तुम पर उदघाटित करने का एक उपाय है... लेकिन भय के कारण तुम अपनी आंखें बंद कर लेते हो और तुम अचेत हो जाते हो। नही, मैं तुम्हें इससे छुटकारा पाने की कोई विधि, कोई सिद्धांत, नहीं देने जा रहा हूं। इसके लक्षण उत्पन्न हुए हैं। यह शुभ है कि यह बात तुम्हें संकेत देती रहती है कि तुम झूठी जिंदगी जी रहे हो। यही कारण है कि वहां भय है। इस संकेत को समझो और लक्षण को बदलने की चेष्टा मत करो, बल्कि मूलभूत कारण को बदलो । एकदम आरंभ से ही हर बच्चे को गलत जानकारी, गलत सूचनाएं दी जाती हैं, उसे गलत दिशा, गलत निर्देश दे दिए जाते हैं। ऐसा जानबूझ कर नहीं किया जाता, क्योंकि माता-पिता भी उसी जाल में हैं, उन्हें भी गलत दिशा दिखाई गई थी । उदाहरण के लिए यदि कोई बच्चा अधिक ऊर्जावान है, तो परिवार असहजता महसूस करता है, क्योंकि अधिक ऊर्जा वाला बच्चा घर में एक उपद्रव है। कुछ भी सुरक्षित नहीं है, बिलकुल सुरक्षित नहीं है। वह ऊर्जावान बच्चा हर चीज तोड़-फोड़ देगा। उसे रोकना पड़ेगा। उसकी ऊर्जा को अवरोधित करना पड़ेगा, उसकी जीवंतता को कम करना होगा। उसको निंदित, दंडित करना पड़ेगा। और जब वह ढंग से व्यवहार करे सिर्फ तब पुरस्कृत करना पड़ेगा और तुम क्या अपेक्षा रखते हो? तुम उससे लगभग एक वृद्ध व्यक्ति बन जाने की उम्मीद रखते हो वह ऐसी किसी वस्तु को जिसे तुम मूल्यवान समझते हो कोई हानि न पहुंचाए। एक घड़ी को बचाने की खातिर तुम एक बच्चे को नष्ट करते हो। या अपनी क्राकरी बचाने के लिए तुम बच्चे को नष्ट कर डालते हो। या अपना फर्नीचर बचाने के लिए वरना उस पर इस छोर से उस छोर तक खरोंच आ जाएगी। तुम परमात्मा की भेंट, एक नव- आगंतुक अस्तित्व को नष्ट करते हो। तुम फर्नीचर को खरोंचे जाने से बचाने के लिए बच्चे का अस्तित्व खरोंचते रहते हो।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy