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________________ और यह अगर उचित ढंग से हो तो धीरे-धीरे तुम उच्चतर से उच्चतर शिखरों तक पहुंचते हो। मृत्यु वह उच्चतम शिखर, चरम उत्कर्ष है, जिसे जीवन उपलब्ध करता है। किंतु हम जीवन को क्यों चूकते जा रहे हैं? क्यों हम केवल बूढ़े हुए चले जाते हैं, परंतु परिपक्व नहीं होते। कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ी जरूर हो गई है, कहीं पर तुम्हें गलत मार्ग पर डाल दिया गया है, कहीं न कहीं तुम गलत रास्ते पर डाले जाने से राजी हो गए हो। इस समझौते को तोड़ना पड़ेगा; इस अनुबंध में आग लगानी पड़ेगी। इसी को मैं संन्यास कहता हूं एक समझ कि अब तक मैं गलत ढंग से जीया हूं-मैंने समझौते किए हैं, वास्तव में जीया नहीं हूं। जब तुम छोटे बच्चे थे तो तुमने समझौते किए, तुमने अपने अस्तित्व को ना-कुछ के लिए बेच डाला। जो भी तुम्हें मिला वह कुछ नहीं मात्र कूड़ा-कर्कट है। छोटी-छोटी बातों के लिए तुमने अपनी आत्मा को खो दिया। तुम स्वयं के स्थान पर कुछ और होने को राजी हो गए, यहीं पर तुम अपने रास्ते से चूक गए। मां चाहती थी कि तुम कुछ बनो, पिता चाहते थे कि तुम कुछ बनो, समाज चाहता था कि तुम कुछ बनो, और तुम राजी हो गए। धीरे-धीरे तुमने स्वयं न होने का फैसला कर लिया। और तब से तुम कुछ और होने का दिखावा करते रहे हो। तुममें परिपक्वता नहीं आ सकती, क्योंकि कोई और परिपक्व नहीं हो सकता। यह नकली है। यदि मैं एक मुखौटा लगा लूं तो मुखौटा परिपक्व नहीं हो सकता, यह मृत है। मेरा चेहरा परिपक्व हो सकता है, लेकिन मेरा मुखौटा नहीं। और. तुम्हारे मुखौटे की उम्र बढ़ती जाती है। मुखौटे के पीछे छिपे हुए तुम विकसित नहीं हो रहे हो। तुम केवल तभी विकसित हो सकते हो जब तुम स्वयं को स्वीकार कर लो कि तुम कोई अन्य नहीं, स्वयं ही होने जा रहे हो। गुलाब की झाड़ी हाथी हो जाने के लिए राजी हो गई है; हाथी गुलाब की झाड़ी हो जाने को तैयार है। गरुड़ चिंतित है, बस मनोचिकित्सक के पास जाने ही वाला है, क्योंकि उसे कुत्ता बनने की इच्छा है; और कुत्ता अस्पताल में पड़ा है क्योंकि वह गरुड़ की भांति उड़ना चाहता है। मानव जाति के साथ यही घट गया है। कछ और हो जाने के लिए राजी हो जाना सबसे बड़ी आपदा है, तम्हारा विकास कभी न हो सकेगा। तुम कभी भी किसी और तरह विकसित नहीं हो सकते। तुम केवल तुम्हारी भांति परिपक्व हो सकते हो। 'चाहिए' को छोड़ देना पडेगा, और तुम्हें इस बात से ज्यादा मतलब नहीं रखना है कि लोग क्या हैं? उनकी राय क्या है? वे होते कौन हैं? तम यहां पर स्वयं होने के लिए हो। तुम यहां किसी की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए नहीं हो, और हर व्यक्ति इसी कोशिश में लगा हुआ है। पिता का निधन हो चुका है और तुम उस वादे को पूरा करने के प्रयास में हो जो तुमने उनसे किया था। और वे खुद अपने पिता से किया गया वादा पूरा करने की कोशिश में संलग्न रहे, और इसी भांति चलता रहा था, यह मूढ़ता बिलकुल आरंभ तक जाती है।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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