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________________ सकते हो? अस्तित्वगत रूप से एक गिलास पानी भी अधिक मूल्यवान है। लेकिन सोना इतना मूल्यवान क्यों बन गया? लोग सोने के प्रति क्यों इतने आसक्त हैं? वे लोग मौखिक अवस्था से गदीय अवस्था में नहीं गए हैं। वे अपने आंतरिक अस्तित्व में कोष्ठबद्धता के शिकार हैं। अब उनका सारा जीवन उनकी इस कोष्ठबद्धता को प्रतिबिंबित करेगा, वे सोने के संग्राहक बन जाएंगे। सोना प्रतीकात्मक है। पीलापन ही उन्हें ऐसे विचार प्रदान करता है। क्या तुमने छोटे बच्चों का निरीक्षण किया है? उन्हें शौचालय जाने के लिए राजी करना करीब-करीब दुष्कर ही होता है, उनको शौचालय भेजना उनके साथ लगभग जबरदस्ती करने जैसा ही है। और फिर वे इस बात पर भी जोर देते रहते हैं, कुछ नहीं हो रहा है, क्या वापस आ सकता हूं? वे कंजूसी का पहला पाठ पढ़ रहे होते हैं-कैसे रोक कर रखा जाए। किस प्रकार से उसे भी जो व्यर्थ है, उसे भी जिसको अगर तुम अपने भीतर रोक लो, तो जो हानिकारक है किस भांति न दिया जाए, कैसे रोका जाए। उनके लिए जहर तक को छोड़ पाना, इसका त्याग करना कठिन है। मैंने दो बौद्ध भिक्षुओं के बारे में सुना है। उनमें से एक कंजूस और जमाखोर था और वह रुपया एकत्रित करके अपने पास रखता रहता था, और दूसरा उस पूर्ण ढंग पर हंसा करता था। जो कुछ भी उसके सामने आए वह उसका उपयोग कर लेगा, वह इसे कभी जमा करके नहीं रखेगा। एक रात वे नदी पर पहुंचे। शाम हो गई थी, सूर्य अस्त हो रहा था, और वहां ठहरना खतरनाक था। उन्हें दूसरे किनारे पहुंचना ही था, उस पार एक नगर था, इस पार तो बस जंगल ही जंगल था। जमा करने वाला कहने लगा, अब, तुम्हारे पास रुपये बिलकुल भी नहीं हैं, इसलिए हम नाव वाले को भुगतान नहीं कर सकते, इस बारे में तुम क्या कहते हो? तुम जमा करने के खिलाफ थे; अब अगर मेरे पास जरा भी रुपया नहीं हो तो हम दोनों मर जाएंगे, तुम समझे इस बात को? उसने कहा धन की पड़ती है। वह व्यक्ति जो त्यागने में विश्वास रखता था, हंसा, लेकिन उसने कछ कहा नहीं। फिर जमा करने वाले ने किराया चकाया और उन्होंने नदी पार कर ली, वे उस पार पहंच गए। जमा करने वाला फिर कहने लगा, अब इस बात को याद कर लो, अगली बार मुझसे विवाद मत करना, तुम्हें समझ आई? धन सहायता करता है। धन के बिना हम दोनों मर गए होते। उस किनारे पर पूरी रातजंगली जानवरों के बीच, जिंदगी खतरे में थी। दूसरा भिक्षु हंसा और उसने कहा लेकिन हम नदी पार इसलिए कर पाए कि तुमने धन खर्च किया। यह जमा करने के कारण संभव नहीं हो पाया कि हम जिंदा बच गए। अगर तुम धन को पकड़े रहने पर ही जोर देते और तुम नाव वाले को किराया न चुकाते तो हम मर गए होते। यह इसलिए हुआ कि तुम त्याग सके, कि तुम इसे छोड़ सके, तुमने इसे दिया इसी कारण हम जिंदा बचे हैं। विवाद अब तक जारी है। लेकिन स्मरण रहे, मैं इसके विरोध में नहीं हूं मैं पूर्णत: इसके पक्ष में हूं। किन्तु इसको उपयोग करो। इसे रखो, इस पर मालकियत करो, लेकिन तुम्हारी मालकियत तभी प्रकट
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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