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________________ उन्होंने आपको किस भांति ठीक किया? सहायक ने पूछा। हआ यह, उस व्यक्ति ने कहा, जब मैंने उसके पैर पर लात मारी तो उसने वापस मुझे लात मार दीऔर बहुत जोर से मारी। इसलिए याद रखो, जब तुम मेरे पास आती हो, यदि तुम मुझको चोट पहुंचाओ, तो मैं तुम पर बहुत जोर से प्रहार करने वाला हूं। और कभी-कभी तो यदि तुम प्रहार न करो तो भी मैं प्रहार कर देता हूं। तुम्हारे अहंकार को खंडित करना पड़ता है, इसी कारण हताशा. होती है। यह हताशा अहंकार की है, यह हताशा तुम्हारी नहीं है। मैं तुम्हारे अहंकार को अनुमति नहीं देता, मैं इसे किसी भी तरह का दृश्य या अदृश्य सहारा नहीं देता। लेकिन सुबह के प्रवचन में यह बहुत सरल है। जो भी प्रहार मैं करता हूं वह दूसरों के लिए होता है, और जो कुछ भी तुमको अच्छा लगता है तुम्हारे लिए होता है, तुम चुनाव कर सकती हो। लेकिन संध्या दर्शन में नहीं। तुमको मैं एक कहानी और सुनाता हू। स्त्री क्या तुम मुझको अपने पूरे हृदय और आत्मा से प्रेम करते हो? पुरुष. ओह, हां। स्त्री : क्या तुम सोचते हो कि मैं संसार में सबसे सुंदर स्त्री हूं? पुरुष ही। स्त्री क्या तुम सोचते हो कि मेरे होंठ गुलाब की पंखुड़ियों जैसे हैं, मेरी आंखें झील जैसी हैं, मेरे बाल रेशम जैसे हैं। पुरुष ही। स्त्री. ओह, तुम कितनी प्यारी बातें करते हो। सुबह के प्रवचन में, यह बहुत सरल है, तुम जिस पर विश्वास करना चाहो कि मैं तुमसे कह रहा हू विश्वास कर सकती हो। लेकिन संध्या के दर्शन में यह असंभव है। लेकिन, स्मरण रखो कि तुम्हारी सहायता करने के लिए मैं तुम पर कठोर प्रहार करता हूं। यह प्रेम और करुणा के कारण है। जब कोई अजनबी मेरे पास आता है, मैं उस पर दर्शन तक में कोई प्रहार नहीं करता हूं। वास्तव में मैं कोई संबंध निर्मित नहीं करता हूं क्योंकि मेरी ओर से किया गया संबंध बिजली के झटके जैसा होने जा रहा है। केवल संन्यासियों के साथ मैं और कठोर हूं और जब मैं देखता हूं कि तुम्हारी क्षमता महतर है तो मैं कठोर हो जाता हूं। प्रपत्ति में महत क्षमता है। वह सुंदरतापूर्ण ढंग से विकसित और पुष्पित हो सकती है, और बहुत कम समय में यह हो सकता है,
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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