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________________ किंतु ये वे ही लोग हैं जो धार्मिक नहीं हो सकते हैं। ये वे ही लोग हैं जिन्होने विश्व के सभी धर्मों को नष्ट कर डाला है। जब भी किसी बुद्ध का उदय होता है, ये लोग एकत्रित होना आरंभ कर देते हैं। जब वह जीवित होता है वह उनको शक्तिशाली होने की अनुमति नहीं देता। लेकिन जब वह विदा हो जाता है, धीरे-धीरे ये गंभीर लोग गैर-गंभीर लोगों के साथ चालाकी करना आरंभ कर देते हैं। इसी प्रकार से सारे धर्म संगठित हो जाते हैं और सारे धर्म मृत हो जाते हैं। जब बुयरुष यहां होता है वह अपनी मुस्कुराहट बिखेरता रहता है और वह लोगों की सहायता करता रहता है। इसलिए अनेक बार मैंने यह कहानी कही है, कि बुद्ध एक दिन अपने हाथ में एक फूल लेकर आते हैं और चुपचाप बैठ जाते हैं। कई मिनट बीत गए, फिर कोई घंटा भर हो गया और प्रत्येक व्यक्ति असहज, चिंतित, परेशान है; वे बोल क्यों नहीं रहे हैं? पहले कभी उन्होंने ऐसा नहीं किया था? और वे लगातार फूल को ही देखते रहे जैसे कि वे उन हजारों लोगों को भूल चुके हों जो उनको सुनने के लिए एकत्रित हए थे। और फिर एक शिष्य महाकश्यप ने हंसना आरंभ कर दिया, पेट की हंसी। उस शांत मौन में उसकी हंसी फैल जाती है। बुद्ध उसकी ओर देखते हैं। उस शांत मौन में उसकी हंसी फैल जाती है। बुद्ध उसकी ओर देखते हैं और उसको निकट बुलाते हैं, फूल उसको दे देते हैं और कहते हैं जो कुछ मैं शब्दों से कह सकता हूं मैंने तुमसे कह दिया है, और जो कुछ मैं शब्दों से नहीं कह सकता हं उसको मैं महाकश्यप को प्रदान करता हं-हंसते हुए महाकश्यप को। अपनी विरासत बुद्ध ने हंसी को प्रदान कर दी है? लेकिन महाकश्यप खो जाता है। वे गंभीर लोग जो समझ नहीं पाते चालाकी कर लेते हैं। जब बदध विदा हो जाते हैं, महाकश्यप के बारे में कोई कछ भी नहीं सनता है। लेकिन महाकश्यप को क्या हुआ जिसको बुद्ध ने सबसे गुप्त संदेश दिया। वह संदेश जिसको शब्दों द्वारा नहीं दिया जा सकता, वह जिसको केवल मौन और हंसी में लिया और दिया जा सकता है, वह संदेश जिसको केवल आत्यंतिक मौन द्वारा आत्यंतिक हंसी को ही दिया जा सकता है? महाकश्यप को क्या हो गया? बौद्ध शास्त्रों में कुछ भी उल्लेख नहीं है-केवल यही एक मात्र कथा है, बस बात खत्म। जब बुद्ध विदा हो गए महाकश्यप को भुला दिया गया, फिर गंभीर लंबे चेहरे वालों ने संगठन बनाना आरंभ कर दिया। हंसी को कौन सुनेगा? और महाकश्यप वापस लौट कर आएगा, क्यों चिंता करना? - ये गंभीर लोग इतना अधिक लडू-झगडू रहे थे कि वह व्यक्ति जो हंसी को प्रेम करता है प्रतियोगियों की इस पागल भीड़ से बाहर निकल आएगा। बुद्ध संघ बुद्ध के समुदाय का अधिष्ठाता कौन होने जा रहा है? –और राजनीति और संघर्ष, और मतदान और सभी कुछ का प्रवेश हो जाता है। महाकश्यप बस खो जाता है। उसकी मृत्यु क ई-कोई नहीं जानता। बुद्ध के वास्तविक उत्तराधिकारी को कोई नहीं जानता। कई शताब्दिया, लगभग छह शताब्दिया व्यतीत हो गईं, फिर एक अन्य व्यक्ति बोधिधर्म चीन पहुंचता है। पुन: महाकश्यप का नाम सुना जाता है, क्योंकि बोधिधर्म कहता है, मैं संगठित बौद्धधर्म का अनुयायी नहीं हूं। मैंने अपना संदेश सदगुरुओं की सीधी श्रृंखला से लिया है। यह श्रृंखला बुद्ध के द्वारा महाकश्यप को फूल देने से आरंभ हुई थी और मैं छठवां हूं। बीच के अन्य चार कौन
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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