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________________ रुपये था। इस व्यक्ति ने सोचा कि इस प्रकार तो उसको बहुत खर्च करना पडेगा। लेकिन उसके बच्चे उस बैल को देखना ही चाहते थे। अंततः वे कठघरे के प्रवेश द्वार पर पहुंचे। वहां के सहायक ने पूछा : महोदय, क्या ये सभी बच्चे आपके हैं? हां, ये सभी मेरे बच्चे हैं, उस व्यक्ति ने उत्तर दिया क्यों? सहायक ने उत्तर दिया ठीक है, एक मिनट आप यहीं रुके, मै बैल को बाहर ले आऊंगा ताकि वह आपको देख ले! अठारह बच्चे। - बैल तक को ईर्ष्या हो जाएगी। तुम अचेतन अवस्था में अपनी प्रतिकृतियों को जन्म दिए चले जाते हो। पहले विचार करो. क्या तुम इस अवस्था में हो कि यदि तुम किसी बच्चे को जन्म देते हो, तो क्या तुम संसार को कोई भेंट दे रहे होगे? क्या तुम संसार के लिए एक आशीष हो या एक अभिशाप हो? और अब विचार करो क्या तुम एक बच्चे की माता या उसके पिता बनने के लिए तैयार हो? क्या तुम बिना शर्त प्रेम देने के लिए तैयार हो! क्योंकि बच्चे तुम्हारे माध्यम से आते हैं लेकिन वे तुम्हारे नहीं हैं। उनको तम अपना प्रेम कते हो लेकिन तमको उन पर अपने विचार नहीं थोपना चाहिए। तुमको अपने विक्षिप्त रंग-ढंग उन्हें नहीं देना चाहिए। क्या तुम अपने बच्चों को अपने विक्षिप्त रंग-ढंग नहीं देने के लिए तैयार हो? क्या तुम उनको उनके स्वयं के ढंग से खिलने दोगे? क्या उनको, उन जैसा हो पाने की, स्वतंत्रता दे दोगे? यदि तुम तैयार हो तो ठीक है यह, वरना प्रतीक्षा करो; तैयार हो जाओ। मनुष्य के साथ संसार में सचेतन विकास प्रविष्ट हो चुका है। पशुओं की भांति मत बने रहो कि बस बेहोशी में प्रजनन चल रहा है। अब तैयार हो जाओ। इसके पूर्व कि तुम बच्चा पैदा करना चाहो, थोड़े और ध्यानपूर्ण हो जाओ, थोडे और मौन और शांत हो जाओ। वह सारी विक्षिप्तता जो तुम अपने भीतर लिए हुए हो उससे छुटकारा पा लो। उस क्षण के लिए प्रतीक्षा करो जब तुम पूरी तरह से स्वच्छ हो, तभी बच्चे को जन्म दो। तब अपना जीवन बच्चे को दो, अपना प्रेम बच्चे को दो। तुम एके बेहतर संसार निर्मित करने में सहायता कर रहे होगे। वरना तम बस संसार में भीड बढा रहे होगे। यह भीड़ पहले से ही पगला देने वाली बन चुकी है। इस भीड़ को बढ़ाने की अब कोई आवश्यकता नहीं है। यदि तुम संसार को मनुष्य दे सको, कीड़े-मकोड़े नहीं जो सारी पृथ्वी पर रेंग रहे हैं और भीड़ बढ़ा रहे हैं, तो पहले तैयार हो जाओ। मेरे लिए मां बनना एक महत अनुशासन है; पिता बनना एक महान तपश्चर्या है। वरना तुम ठीक अपने जैसा कोई या उससे भी बुरा अपने स्थान पर छोड़ जाओगे। तुम्हारी ओर से वह कोई अच्छा कृत्य नहीं होगा। संबुद्ध व्यक्तियों को किसी को जन्म देने की आवश्यकता नहीं है; विक्षिप्त लोगों को बच्चे नहीं करना चाहिए। ठीक इन दोनों के मध्य में वे लोग हैं जो बच्चे पैदा करने के उचित पात्र
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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