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________________ एक आवास आदमी किसी भद्र पुरुष से मिलने गया। मैं तुमसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं उस व्यक्ति ने पूछा। क्या तुम शराब पीते हो? इसके पहले कि मैं उत्तर दूं आवारा ने कहा, मैं जानना चाहता हूं कि यह पूछताछ है या निमंत्रण। यह निर्भर करता है.......उत्तर प्रश्न पर निर्भर करेगा। वह आवारा आदमी आश्वस्त होना चाह रहा है कि यह निमंत्रण है या पूछताछ। उसकी हां और न इस पर निर्भर करेगी कि यह प्रश्न क्या है। जब तुम किसी खास वस्तु को देखते हो तो तुम उसको वैसा नहीं देखते जैसी कि वह है।. इमैनुअल कांट ने लिखा है कि किसी वस्तु को जैसी कि वह है उस रूप में नहीं जाना जा सकता, और एक प्रकार से वह सही है। वह ठीक कहता है, क्योंकि जब कभी भी तुम किसी वस्तु को जानते हो, तुम्हारा मन, तुम्हारा पूर्वाग्रह, तुम्हारा लोभ, तुम्हारी अवधारणा, तुम्हारी संस्कृति ये सभी उस वस्तु को देख रहे हैं। किंतु इमैनुअल कांट आत्यंतिक रूप से सत्य नहीं है क्योंकि वस्तु को मन के बिना भी देखने का एक उपाय है। लेकिन उसको ध्यान के बारे में जरा भी पता नहीं था। पाश्चात्य दर्शनशास्त्र और भारतीय दर्शन के मध्य यह अंतर है। पाश्चात्य दर्शनशास्त्र मन के द्वारा विचार किए चला जाता है और पूर्व का कुल प्रयास यही है कि मन को किस भांति गिरा दिया जाए और तब वस्तुओं को देखा जाए, क्योंकि तब वस्तुएं अपने स्वयं के आलोक में, अपने आंतरिक गुणों के साथ प्रकट हो जाती हैं। तब तुम उन पर कुछ भी आरोपित नहीं करते हो। वह पूरे नगर का सर्वाधिक आलसी व्यक्ति था। दुर्भाग्यवश उसके साथ एक बुरी दुर्घटना हो गई, वह अपने घर में ही सोफे से नीचे गिर पड़ा। एक चिकित्सक ने उसकी जांच की और कहा, मुझे भय है कि मेरे पास आपके लिए एक बुरी खबर है, महोदय। अब आप पुन: कभी अपने हाथों से कोई काम नहीं कर पाएंगे। धन्यवाद, डाक्टर साहब, उस आलसी ने कहा, अब बताएं कि बुरी खबर क्या है? सकेगा। उसके लिए यह अच्छी खबर है, यह तुम्हारी व्याख्या पर निर्भर करता है। और सदैव स्मरण रखो कि सारी व्याख्या भ्रामक है, क्योंकि यह वास्तविकता का मिथ्याकरण कर देती है। मनोचिकित्सक के कोच पर लेटा हुआ व्यक्ति मानसिक तनाव की अवस्था में था। मुझे यह भयानक दुख स्वप्न बार-बार आता रहता है, उसने मनोचिकित्सक से कहा। इस स्वप्न में मैं अपनी सास को एक नरभक्षी घड़ियाल को पट्टे से बांधे हुए अपना पीछा करते हुए देखता हूं। यह वास्तव में भयावह है। मुझे उसकी पीली आंखें, सूखी सिन्नेदार खाल, पीले सड़ते हुए और उस्तरे से तेज दांत दिखाई पड़ते हैं, और उसकी गंदी, भारी श्वास की बू आती है। यह किस कदर गंदा लगता है, मनोचिकित्सक ने सहानभूतिपूर्वक कहा।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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