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________________ और तुम बच्चों को जन्म देते हो; यह भी विक्षिप्तता का कृत्य है, क्योंकि तुमको सदैव उलझाव चाहिए, उलझने के लिए कुछ तो चाहिए। तुम्हारा मूलभूत उलझाव भविष्य के साथ है, और बच्चे तुम्हारे लिए भविष्य को उपलब्ध करवा देते हैं। उनके माध्यम से तुम्हारी महत्वाकांक्षाएं गतिशील होने में समर्थ हो जाएंगी। जब तुम इस संसार से विदा हो चुके होंगे तब तुम्हारे बच्चे यहां होगे। तुम प्रधानमंत्री होने का प्रयास कर रहे थे और तुम बन न सके तो तुम्हारे बच्चे बन जाएंगे। उनको तुम तैयार करोगे और सातत्य चलता रहेगा। जब कोई मरता है, और अपने पीछे कोई संतान नहीं छोडता, तो उसे लगता है कि सब कुछ समाप्त हो गया है, परम अंत आ गया है। किंतु जब तुम अपने पीछे बच्चे छोड़ जाते हो, तो तुम्हें उनके माध्यम से एक प्रकार की अमरत्व की अनुभूइत होती है : यह ठीक है; मैं मर रहा हूं चिंता करने की कोई बात नहीं है। लेकिन मेरा एक भाग मेरे बच्चे के माध्यम से जीता रहेगा। लोग बच्चों में बहुत अधिक उत्सुक हैं क्योंकि वे मृत्यु से बहुत अधिक भयभीत हैं। बच्चे तुम्हें अमरत्व का एक झूठा आभास, एक प्रकार का सातत्य दे देते हैं। एक अविक्षिप्त व्यक्ति कभी बच्चों में उत्सुक नहीं होता, उसे किसी प्रकार के सातत्य में उत्सुकता नहीं होती। उसने शाश्वत को पा लिया है, और वह मृत्यु के बारे में चिंतित नहीं है।. एक अविक्षिप्त स्त्री को पाना क्यों इतना असंभव है, इस बारे में कुछ कहानियां.......मैं कुछ नहीं कहूंगा, मैं तो बस कुछ किस्से पढ़ दूंगा। श्रीमान कोहेन कुछ धन खर्च करना चाहते थे, और उन्होंने एक आंतरिक सज्जाकार से अपने मकान की पुनर्सज्जा के लिए कहा। सज्जाकार श्री जोंस ने पूछा, श्रीमान कोहेन, आपका कार्य करके मुझे प्रसन्नता होगी। क्या आप अपनी पसंद की कोई रूप-रेखा बता सकते हैं? क्या आपको आधुनिक सज्जा पसंद है? नहीं। स्वीडन की शैली? नहीं। इटली की प्रांतीय शैली? नहीं। मूर शैली? स्पैनिश शैली? नहीं। ठीक है, श्रीमान कोहेन, आपको मुझे अपनी पसंद की शैली का थोड़ा सा संकेत तो देना ही पड़ेगा, अन्यथा मैं तो अपना कार्य आरंभ तक नहीं कर पाऊंगा। आपके मन में असल में है क्या?
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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