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________________ कार्य अच्छा है, किंतु कार्य कार्य की भांति कुरूप है, अच्छा नहीं है। कार्य अच्छा है यदि यह भी एक खेल हो। कार्य अच्छा है यदि इसमें कोई आंतरिक मूल्य निहित हो। तुम चित्रकारी करते हो क्योंकि तुमको चित्रांकन से प्रेम है, क्योंकि तुम चित्रकला से आनंदित होते हो। निःसंदेह यदि यह चित्र बिक जाता है और तुमको कुछ धन प्राप्त हो जाता है तो वह गौण बात है, वह महत्वपूर्ण नहीं है, वह मुख्य बात नहीं है। यदि तुमको धन मिल जाता है, अच्छी बात है, यदि तुमको धन नहीं मिलता, तो तुम्हारा कुछ खो भी नहीं रहा है, क्योंकि चित्रकारी करते समय तुम कितने आह्लादित हो जाते हो। तुम करीब-करीब पुरस्कृत हो जाते हो। तुम अपने(प्रयास से कहीं अधिक पुरस्कृत हो जाते हो। यदि चित्र बिक सके तो एक और पुरस्कार, तुम पर परमात्मा अधिक दयालु हो रहा है। लेकिन जहां तक तुम्हारे पुरस्कार का प्रश्न है, तुमको यह पहले ही मिल चुका है। जब तुम अपना चित्र बनाते हो, जब तुम अपना गीत लिखते हो, जब तुम बगीचे में कार्य करते हो और धूप में पसीना बहाते हो, तुमको तुम्हारा पुरस्कार मिल चुका है। खेल की भांति कार्य करो, आनंद की भांति कार्य करो, पूजा की भांति कार्य करो, तभी यह सुंदर हो जाता है, इसमें आह्लाद होता है। एक आर्थिक गतिविधि की भांति कार्य करना कुरूप है। तब तुम बाजार का एक हिस्सा बन जाते हो। तब तुम केवल इसी बारे में सोचते हो कि ऐसा करके तुमको क्या मिलने जा रहा है। तब तुम कभी-अभी और यहीं नहीं होते। तब तुम सदैव परिणाम में होते हो, और परिणाम भविष्य में होता है। कभी परिणाम उन्मुख मत रहो, मनुष्य के मन का संताप यही है, वर्तमान उन्मुख रहो। और कार्य के माध्यम से तुमको अपना अंतर्तम अस्तित्व नहीं मिलने जा रहा है। तुमको यह वर्तमान में होकर सजग होकर मिलने जा रहा है। इसलिए अपने कार्य का भी एक परिस्थिति की भांति उपयोग करो। लेकिन क्या होता है? तुम मुझे सुनते हो, तुम अपने मन के भीतर जो मैं कह रहा हूं उसे संजो कर रखते जाते हो। तुम मुझे वास्तव में नहीं सुनते। तुम संकेत संकलित करते रहते हो। तुम समझ का संग्रह नहीं करते, तुम संकेतों का संकलन करते हो, और यही वह बात है जो समस्याएं उत्पन्न करती मैं तुम्हें एक कहानी और सुनाता हूं। पुराने समय में चिकित्सक लोग रोगी देखने जाते समय अपने सहायक को भी साथ ले जाया करते थे। उस आयरिश रोगी का चेहरा लाल था और उसका ब ज था। डाक्टर ने उस रोगी की पीठ थपथपाई, उठ खड़े होओ, और थोड़ी गोभी के साथ कॉर्ड बीफ खा लो, उसने रोगी से कहा। अगले दिन वह आयरिश व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ होकर वापस काम करने लगा। सहायक ने नोट कर लिया : लाल चेहरा, तेज बुखार, कॉर्ड बीफ और गोभी।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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