SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 295
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'योगी के कर्म न शुद्ध होते हैं, न अशुद्ध, लेकिन अन्य सभी कर्म त्रि-आयामी होते हैं-शुद्ध, अशुद्ध और मिश्रित।' यह कुछ ऐसी बात है जिसको पश्चिम में समझा जाना बहुत ही कठिन है, क्योंकि पश्चिम में केवल दो श्रेणियां अस्तित्व में हैं : शुद्ध और अशुद्ध, महात्मा और पापी, दिव्यता और शैतानियत, स्वर्ग और नरक, गोरा और काला। सारा पश्चिम अरस्तु के तर्क का अनुगमन करता है, और यह अभी भी किसी ऐसी बात को नहीं जान पाया जो दोनों के पार हो, उनमें से कुछ भी न हो फिर भी उनका अतिक्रमण करती हो। इस भांति के सूत्र किसी पश्चिमी मन दवारा समझे जाने के लिए काफी दुरूह हैं, क्योंकि मन का एक निश्चित ढांचा होता है। यह ढांचा कहता है, यह कैसे संभव हो सकता है? कोई व्यक्ति या तो अच्छा है या बुरा है! ऐसा व्यक्ति कैसे संभव है, ऐसा मन कैसे संभव है जो कुछ न हो? तुम या तो अच्छे हो या बुरे। यह द्वैतवाद, द्विमुखी पद्धति, पश्चिमी मन में बहुत स्पष्ट है। यह विश्लेषणात्मक है। यह सूत्र कहता है. 'योगी के कर्म न शुद्ध होते हैं, न अशुद्ध।' क्योंकि वे मौलिक मन से आते हैं। अब यहां बहुत सी बातें समझ लेनी हैं। तुम किसी को मरता हुआ देखते हो और तभी अचानक अरस्तुवादी मन में एक समस्या उठ खड़ी होती है : यदि परमात्मा भला है, तो मृत्यु क्यों त्र: यदि परमात्मा भला है, तो निर्धनता क्यों? यदि परमात्मा भला है, तो कैंसर क्यों? यदि परमात्मा भला है, तो सभी कुछ अच्छा होना चाहिए। वरना संदेह उपजता है। तब परमात्मा हो ही नहीं सकता। या यदि वह है तो वह भला नहीं हो सकता। और उस परमात्मा को तुम कैसे परमात्मा कह सकते हो जो भला तक नहीं है गुम इसलिए सारा ईसाई धर्मशास्त्र शताब्दियों से इस समस्या पर कार्य करता रहा है कि इसकी व्याख्या किस प्रकार से की जाए? लेकिन यह असंभव है। क्योंकि अरस्तुवादी मन के साथ यह संभव नहीं है। तुम इसकी उपेक्षा कर सकते हो, लेकिन तम इस समस्या को पूरी तरह से मिटा नहीं सकते, क्योंकि यह प्रश्न मन की संरचना के कारण ही उठता है। पूरब में हम यह कहते हैं कि परमात्मा न तो भला है, न बुरा है, इसलिए जो कुछ घट रहा है घट रहा है। इसमें कोई नैतिक मूल्य नहीं है। इसे तुम अच्छा या बुरा नहीं कह सकते। इसको तुम अच्छे या बुरे की भांति पुकारते हो क्योंकि तुम्हारे पास एक निश्चित मन है। यह तुम्हारे मन का संदर्भ है कि कोई चीज अच्छी बन जाती है और कोई चीज बरी बन जाती है। अब देखो, एडोल्फ हिटलर का जन्म हुआ; यदि मां ने एडोल्फ हिटलर को मार डाला होता, तो यह अच्छा होता या बुरा? अब हम देख सकते हैं कि यदि मां ने एडोल्फ हिटलर को मार दिया होता तो यह संसार के लिए बहुत अच्छा हुआ होता। लाखों लोग मारे गए इसके स्थान पर यह बेहतर रहा होता कि एक व्यक्ति मारा जाता। लेकिन यदि मां ने एडोल्फ हिटलर को मार दिया होता तो उसको
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy