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________________ तुमको जीवित रहने के लिए एक मन की आवश्यकता होती है, और प्रत्येक समाज हर बच्चे पर मन थोपने का प्रयास करता है, क्योंकि सभी बच्चे जन्म के समय जंगली होते हैं। उनको पालतू बनाना पड़ता है, उनको एक सांचा देना पड़ता है। वे बिना सांचे के आते हैं। उनको इस संसार में, जहां बहु सा संघर्ष जारी रहता है, जहां जिंदा बने रहना एक सतत समस्या है, जीवित बच पाना और जीना कठिन होगा। उनको स्वयं की रक्षा करने के कुछ खास उपायों में निपुण होना पड़ेगा। उन्हें संसार की शत्रुतापूर्ण शक्तियों के विरुद्ध कवच, आवरण, खोल धारण करना पड़ेगा। उनको दूसरों की भांति व्यवहार करना सिखाना पड़ता है, उनको नकलची होना सिखाना पड़ता है। नकल के माध्यम से यांत्रिक मन निर्मित होता है। नकल को त्याग कर मौलिक मन निर्मित होता है। मैंने सुना है, तीन भूत ताश खेल रहे थे, तभी चौथे भूत ने द्वार खोला और भीतर प्रवेश किया। खुले दरवाजे से बाहर से आए हवा के झोंके ने उनके पत्ते उड़ा कर फर्श पर बिखेर दिए । नया भूत, बच्चा भूत था बहुत छोटा, भूतों के संसार में बहुत नया। उनमें से एक भूत ने निगाह उठाई और कहा, क्या तुम अन्य सभी की भांति आने के लिए की-होल का प्रयोग नहीं कर सकते थे ? अब भूतों को भी प्रशिक्षित करना पड़ता है. द्वार खोलने की कोई आवश्यकता नहीं है; चाबी के छेद से भीतर आओ जैसा कि प्रत्येक कर रहा है। इसी भांति माता-पिता तुमको सिखाते चले जाते हैं नकल करो, और वे लोग जो बड़े नकलची हैं, प्रशंसा पाते हैं। वह बच्चा जो नकल नहीं करता, दंडित होता है। विद्रोही बच्चा दंड पाता है, आज्ञाकारी बच्चा प्रशंसा पाता है। आज्ञाकारिता को एक महान जीवन मूल्य समझा गया है और विद्रोह को एक बड़ी गलती । सारा समाज तुमको आज्ञाकारी बनाना चाहता है, तुम्हारे ऊपर समाज पुरस्कारों द्वारा, दंडों द्वारा, भय, प्रशंसा, अहंकार को उकसा कर आज्ञाकारिता को थोप देता है। तुम्हें दूसरों की नकल करने को बाध्य करने के हजारों उपाय हैं, क्योंकि तुमको ढांचा देने का तुमको सिकोड़ने का तुमको काबू में लाकर अनुशासित करने का यही एक मात्र उपाय है। लेकिन निःसंदेह इसकी कीमत बहुत अधिक है। ऐसा होता ही है, यह हो चुका है, और कोई दूसरा उपाय था भी नहीं। इससे कोई भी बचाव नहीं कर पाया है, और मुझे नहीं दीखता कि कभी भी इससे पूरी तरह बचने की कोई संभावना हो सकेगी। कम या अधिक यह वहां रहेगा। लोग मुझसे पूछते हैं, कि यदि मुझको बच्चों को शिक्षित करना हो तो मैं उनको क्या सिखाना चाहूंगा? लेकिन तुम उनको चाहे जो कुछ भी सिखाओ, तुम उनको एक मन दे दोगे। तुम उन्हें विद्रोह सिखा सकते हो, लेकिन यह भी उनको एक मन दे देगा। वे विद्रोही व्यक्तियों की नकल करना आरंभ कर देंगे। फिर से वे ढांचे में बंध जाएंगे। कृष्णमूर्ति ने सारे संसार में ऐसे कई विद्यालय बच्चों को सिखाने के लिए, ताकि वे नकलची न बन जाएं, आरंभ किए हैं, लेकिन वे फिर भी नकलची बन जाते हैं। वे कृष्णमूर्ति की नकल करना आरंभ
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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