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________________ भारत में हमारे पास एक पौराणिक कहानी है कि कृष्ण के पास सोलह हजार पत्नियां या सखियां थीं। उनको 'पत्नियां' कहना उचित नहीं है क्योंकि वे वास्तव में क्रांतिकारी थे। वे पति या पत्नी होने में विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने सखा या सखी-गोपियां, सखियां बनाने का सारा विचार निर्मित किया था। सोलह हजार सखियां? सम्हालने के लिए थोड़ा अधिक मालूम होता है, लेकिन यह कहानी प्रतीकात्मक है, यह बस कहती है, सोलह हजार शिष्य। वे पुरुष भी हो सकते हैं, वे स्त्री भी हो सकते हैं यह बात नहीं है लेकिन एक शिष्य स्त्रैण होता है। शिष्य गोपी है, सखी है, वरना वह शिष्य नहीं मेरे पास भी सोलह हजार संन्यासी हैं, संख्या ठीक वहीं पहुंच गई है, और भले भी हैं सभी। और तुम देख सकते हो कि मैं ठीक से सम्हाल भी रहा हूं। वास्तव में ऐसा नहीं है कि मैं इन्हें ढंग से सम्हाल रहा हूं। यह तो प्रेम है जो भलीभांति सम्हालता है। प्रेम सदा ही सुंदरता से, सहजता और सरलता से सम्हाल लेता है। प्रेम किसी तनाव को नहीं जानता। तुमसे तो एक स्त्री भी ढंग से नहीं सम्हल पाती, क्योंकि अभी भी तुमको प्रेम का कोई पता नहीं। तमसे एक प्रेम संबंध भी सम्हल नहीं पाता, क्योंकि प्रेम नहीं है। केवल संबंध है वहां, और प्रेम खोया हुआ है, तो निःसंदेह यह बहुत सी परेशानियां पैदा करता है। मेरी ओर से प्रेम है, और कोई संबंध नहीं है। प्रेम सम्हाल लेता है। प्रश्न: ओशो, आपके साथ कई व्यक्तिगत साक्षात्कारों में आप मुझसे कई बातें कहा करते थे। उस समय मैं सोचा करता था कि ये बातें आपके दवारा मेरे मानसिक प्रोत्साहन के लिए कही जा रही है। लेकिन जैसे-जैसे समय व्यतीत होता गया आपके साथ कथन मेरे अनुभवों में सौ प्रतिशत सही सिद्ध हुए है। उन अनुभवों के बावजूद अब जि आप मुझसे कुछ कहते हो तो उस समय मैं उस बात का भरोसा नहीं करता हूं। मैं अनुभव करता हूं कि पुन: आपका कथन सौ प्रतिशत सही होगा, फिर भी जिस समय आप मुझसे कहते है मैं आपको बात नहीं मानता हूं। इस असहाय अवस्था से छुटकारा कैसे हो? तुमसे एक कहानी कहता हं यही है मेरा उत्तर।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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