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________________ वैज्ञानिक कहते हैं, ऐसा हो रहा है। पतंजलि का कहना है कि ऐसा किया जा सकता है। यदि ऐसा घट रहा है तो उसे घटने पर बाध्य क्यों नहीं किया जा सकता? जरा देखो। तुम पानी गर्म करते हो, सौ डिग्री पर यह भाप बन जाता है। आग की खोज किए जाने से पूर्व भी, यह सदा से होता रहा है। सूर्य की किरणें सागर और नदियों से पानी वाष्पित कर रही थीं और बादल बन रहे थे और पानी नदियों में फिर वापस आ रहा था, पन: भाप बन रहा था। फिर आदमी ने आग खोज ली, और उसने पानी को गर्म करना, इसको वाष्पित करना शुरू कर दिया। जो कुछ भी घट रहा है, उसे घटित करवाने के लिए विधियां और उपाय खोजे जा सकते हैं। यदि यह पहले से ही हो रहा है, तो यह वास्तविकता के विपरीत नहीं है। अब तुम्हें सिर्फ यह ज्ञात करना है कि कैसे घटाया जाए यदि पदार्थ अ-पदार्थ बन जाता है, अ-पदार्थ पदार्थ बन जाता है, यदि चीजें ध्रुवीताएं बदलती हैं, चीजें ना-कुछ में खो जाती हैं और चीजें ना-कुछ में से प्रकट हो जाती है, यदि यह सब कुछ पहले से ही हो रहा है तो पतंजलि का कहना है कि ऐसी विधियां और उपाय खोजे जा सकते हैं जिनके द्वारा इन्हें घटित करवाया जा सके। और वे कहते हैं कि यह है उपाय, यदि तुमने पांच बीजों के परे, अपने अस्तित्व को पहचान लिया है तो तुम चीजों को मूर्तमान या चीजों को अमूर्त कर सकते हो। वैज्ञानिक कार्यकर्ताओं के लिए अब भी यह खोजना बाकी रह गया है कि यह संभव है या नहीं। किंतु यह सत्य सदृश प्रतीत होता है। इसमें कोई तार्किक समस्या नहीं दिखती। 'इसके उपरांत अणिमा, आदि, देह की संपूर्णता, और देह को बाधित करने वाले तत्वों की शक्ति के निर्मूलन की उपलब्धि प्राप्त होती है।' और अब आती हैं आठ सिधियां, योगियों की आठ शक्तियां। पहली है अणिमा, और फिर लघिमा और गरिमा आदि। योगियों की ये आठ शक्तियां हैं कि वे अपने शरीर को अदृश्य कर सकते हैं, या वे अपने शरीर को छोटा, इतना छोटा बना सकते हैं कि यह दिखाई ही न पड़े, या वे अपने शरीर को इतना बड़ा कर सकते हैं, जितना चाहे उतना बड़ा कर लें। शरीर को छोटा, बड़ा, या पूर्ण अदृश्य बनाना, या कई स्थानों पर एक साथ प्रकट होना, यह सभी उनके नियंत्रण में होता है। यह असंभव प्रतीत होता है, लेकिन जो कुछ भी असंभव लगता था वह देर- अबेर संभव होता जाता है। मनष्य के लिए उड़ना असंभव था, किसी को इस पर यकीन नहीं था। राइट ब्रदर्स को सिरफिरा, की समझा जाता था। जब उन्होंने अपने पहले वायमान का अविष्कार किया, वे इसे लोगों को बताने से इतने भयभीत थे, कि यदि उन्हें पता लग गया तो इन्हें पकड़ कर अस्पताल में भरती कर दिया जाएगा। पहली उड़ान, पूरी तरह से किसी को बताए बिना, केवल यही दोनों वहां थे, संपन्न की गई। और उन्होंने अपना पहला वायुयान एक तहखाने में छिप कर बनाया, ताकि कोई भी यह जान न पाए कि वे क्या कर रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति को विश्वास था कि वे पूर्णत: पागल हो चुके हैं, भला कभी
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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