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________________ ऋणात्मक मिलता है, रात-दिन मिलते हैं, से चूक जाओगे। तुम किसी बात को खो, दोगे। ऐसा नहीं है कि तुमको नरक में फेंक दिया जाएगा, लेकिन तुम अपने जीवन से कुछ ऐसा खो दोगे जो स्वर्ग का लेकिन फिर भी निर्णय तुमको ही करना पड़ेगा। मैं तुम्हें कोई धर्माज्ञा नहीं दे रहा हूं। " mा जाएगा असली बात तो यह है कि धार्मिक आशाओं ने वह परिस्थिति निर्मित की है, जिसमें पहली बार समलैंगिकता का जन्म हुआ था। यह जानकर तमको आश्चर्य होगा कि संसार में समलैंगिकता का कारण धर्म रहे हैं, क्योंकि उन्होंने जोर दिया कि पुरुष साधुओं को एक मोनेस्ट्री में रहना पडेगा, स्त्री साध्वियों को एक दूसरी मोनेस्ट्री में रहना होगा और वे परस्पर मिल नहीं सकते। बौद्धों, जैनों, ईसाइयों, सभी ने हजारों पुरुषों को एक झुंड में और हजारों स्त्रियों को एक दूसरे झुंड में रहने के लिए बाध्य कर दिया था, और उन दोनों के बीच के सारे सेतु तोड़ दिए थे। वे समलैंगिकता के लिए पहली उपजाऊ भूमि थे। उन्हीं ने यह परिस्थिति निर्मित की थी, क्योंकि काम एक ऐसी गहरी इच्छा है कि यदि तुम इसके प्राकृतिक निकास द्वार को रोक दो तो यह विकृत हो जाता है। किसी भी प्रकार से अपने को अभिव्यक्त करने का ढंग और उपाय खोज लेता है। सेना में लोग आसानी से समलैंगिक हो जाते हैं। लड़कों के छात्रावासों में और लड़कियों के छात्रावासों में लोग सरलता से समलिंगी बन जाते हैं। यदि संसार से समलैंगिकता को मिटाना हो तो पुरुष और स्त्री के बीच के सभी अवरोध समाप्त करने होंगे। छात्रावासों को दोनों, लड़कों और लड़कियों के लिए एक साथ होना चाहिए। और सेना को केवल पुरुषों की नहीं होना चाहिए, इसमें स्त्रियों को भी भर्ती करना चाहिए। और क्लब केवल लडकों के नहीं होना चाहिए। यह खतरनाक है। और मोनेस्टियों को उभयलिंगी होना चाहिए, वरना समलैंगिकता प्राकृतिक है। लेकिन यह विकृति है, एक रोग है। जब मैं कहता हूं रोग तो मैं इसकी निंदा नहीं कर रहा हूं मैं इसे करुणावश रोग कह रहा है। जब कोई धूबरक्लोसिस से पीड़ित हो, तो हम उसकी निंदा नहीं करते। हम उसकी इससे मुक्त हो पाने में सहायता करते हैं। इसलिए जब लोग मेरे पास आते हैं और स्वीकारते हैं कि वे समलैंगिक हैं, तो मैं कहता हू चिंता मत करो, मैं यहां हूं न, मैं तुमको इससे बाहर ले आऊंगा। यदि तुम सजग नहीं हो, यदि तुम इसका रूपांतरण नहीं कर रहे हो, तो कामवासना जीवन के परम अंत तक महत्वपूर्ण रहती है। और कामयुक्त रहते हुए मर जाना एक कुरूप मृत्यु है। व्यक्ति को उस बिंदु तक आ चूकना चाहिए जहां कामवासना बहुत पीछे छूट चुकी हो। थल एवं जल सैन्य क्लब के तीन बहुत पुराने सदस्य ब्रांडी और सिगार की चुस्कियों के बीच घबड़ा देने वाले क्षणों के बारे में चर्चा कर रहे थे।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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