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________________ किसी ने जार्ज बर्नार्ड शॉ से पूछा. स्माचार क्या है? उसने कहा. जब कोई कुत्ता किसी आदमी को काट ले, तो यह समाचार नहीं है; लेकिन जब कोई मनुष्य किसी कुते को काट ले, तो यह समाचार है, क्योंकि समाचार को कुछ नया होना चाहिए। मनुष्य को कुत्ते द्वारा काटा जाना कोई समाचार नहीं, क्योंकि इसमें नया कुछ भी नहीं है। ऐसा तो सदा से होता रहा है, और यह हमेशा ऐसे ही होगा। लेकिन जब य कुत्ते को काट लेता है तो निश्चित रूप से यह समाचार है। कोई मनुष्य कुत्त का तुम्हें पत्रकारों से अधिक सतही और ओछे व्यक्ति कहीं न मिलेंगे। वे लोग व्यर्थ की चीजें खोज लेने में कुशल होते हैं। पत्रकार निकम्मे राजनेता होते हैं। राजनेता समाचार निर्मित करते हैं, पत्रकार समाचार एकत्रित करते हैं। पत्रकार राजनेताओं की छाया की भांति है। इसीलिए समाचार पत्र पूरी तरह राजनेताओं से भरे होते हैं, इस छोर से उस छोर तक, आदि से अंत तक, बस राजनीति, राजनीति, राजनीति। पत्रकार वह व्यक्ति है जो समाचार बनाने में असफल हो गया है, अब वह इन्हें एकत्रित करता है। उसका राजनेता से ठीक वही संबंध है जो आलोचक का कवि से होता है; जो कवि बनने में असफल रहता है, वही आलोचक बन जाता है। मैंने एक प्रसिद्ध अभिनेता के बारे में सुना है। एक फिल्म में उसे एक घोड़े की आवश्यकता पड़ी, और एक घोड़े का मालिक 'अपना घोड़ा लेकर आया। यह एक सामान्य घोड़ा था, लेकिन घोड़े के मालिक ने उसकी बहुत अधिक प्रशंसा करना आरंभ कर दी, और वह बोला, यह कोई आम घोड़ा नहीं है। इसकी कद काठी को मत देखिए उसकी आत्मा को देखिए। यह एक बहुत श्रेष्ठ घोड़ा है। और इसने इतनी अधिक फिल्मों में काम किया है कि उसको आप करीब-करीब एक अभिनेता ही कह सकते हैं। ठीक उसी समय घोड़े ने जोर से हवा छोड़ी, तेज आवाज हुई। वह अभिनेता बोला : मैं देख सकता हूं यह सिर्फ अभिनेता ही नहीं है, यह एक समीक्षक भी है। पत्रकार, समीक्षक, इतिहासकार, राजनेता, वे सभी ऐतिहासिक समय, जीवन की बाहरी परिधि से संबदध हैं, और सबसे व्यर्थ और अनुपयोगी प्रयास जो संसार में चलता रहता है-इतना महत्वपूर्ण हो गया है। ने इसको इतना महत्वपर्ण इसीलिए बना दिया है क्योंकि हम भल गए हैं कि घड़ी ही जीवन नहीं है। मनोवैज्ञानिक समय स्वप्न का समय है। पुराण, काव्य, प्रेम, कला, चित्रकारी, नृत्य, संगीत, भाव, ये सभी मनोवैज्ञानिक समय से जुड़े हैं। तुम्हें मनोवैज्ञानिक समय की ओर उन्मुख होना पड़ेगा। क्रमागत समय बहिर्मुखी मन के लिए है। मनोवैज्ञानिक समय अंतर्मुखी, वह जिसने अंतरात्मा की ओर जाना आरंभ कर दिया है, के लिए है। मनोवैज्ञानिक समय में खतरे भी हैं। इसीलिए वे लोग जो क्रमागत समय से आसक्त हैं, मनोवैज्ञानिक समय के विरोध में हैं। इसमें खतरे हैं। एक खतरा यही है कि तुम इसके जाल में फंस सकते हो। तब तुम करीब-करीब पागल हो जाओगे, क्योंकि तुम समाज के, संसार के लोगों के संपर्क से हट जाते हो। मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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