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________________ सड़कों पर धन के ढेर लगे हों, लेकिन यह धन जरा भी न होगा, क्योंकि इसको धन कहने के लिए एक आदमी की आवश्यकता होगी, इसे धन की भांति सम्मान देने के लिए एक मनुष्य चाहिए। सरकार वचन दिए चली जाती है, प्रत्येक नोट पर एक वचन लिखा होता है, यदि तुम इस नोट को बैंक में प्रस्तुत करो, तो वित्तीय गवर्नर दस रुपये के बराबर मूल्य का सोना देने का वचन देता है। यह मात्र एक वचन है। जब वचन लेने के लिए ही कोई न हो, तो मुद्रा खो जाती है। जब मनुष्य पृथ्वी पर न हो, घड़ियां समय बताना जारी रख सकती हैं, लेकिन यह समय जरा भी न होगा। किसी को उनकी चिंता न होगी, कोई उनकी ओर देखेगा भी नहीं। यदि मनुष्य वहां न हो तो बड़ी वाला समय तुरंत रुक जाएगा, यह मनुष्य निर्मित है, एक सामाजिक उप-उत्पत्ति है। कोई समाज जितना ऊपर जाता है और जब मैं कहता हूं ऊपर जाता है, तो मेरा आशय है कि यह जितना जटिल हो जाता है उतना ही वह और अधिक क्रमागत समय से ग्रस्त हो जाता है। आदिम मानव के पास बड़ी का कोई उपयोग नहीं है। यदि तुम उसको एक घड़ी उपहार में दो, तो वह बस आश्चर्यचकित हो जाएगा, यह किसलिए? वह इसका क्या करेगा? एक सभ्य मनुष्य घड़ी के बिना जी ही नहीं सकता। सभ्य समाज में घड़ी के बिना जी पाना करीब-करीब असंभव है क्योंकि पूरा समाज घड़ी के अनुसार जी रहा है, कभी कभी तो असंगत स्थितियों में भी। मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं: जैसे ही डाक्टर साहब सोने को तैयार हुए दरवाजे को जोर से खटखटाने की आवाज आई। वे उठ खड़े हुए और दरवाजे पर खड़े व्यक्ति से पूछा. क्या बात है? मुझे एक कुत्ते ने काट लिया है, वह व्यक्ति बोला। अच्छा, क्या तुम नहीं जानते कि मेरा रोगियों को देखने का समय बारह से तीन के बीच है? जी ही, कराहते हुए रोगी ने कहा लेकिन कुत्ता यह नहीं जानता और उसने मुझे चार बज कर बीस मिनट पर काट लिया। अब मुझे क्या करना चाहिए? कुत्ते घड़ियों में भरोसा नहीं करते, और मामले असंगत अंत तक जा सकते हैं। एक बार तुम घड़ी के अनुसार सोच लो तो तुम भूल जाते हो कि यह मात्र उपयोगी है। यह वास्तविक समय नहीं है। एक और डाक्टर की कहानी: अस्पताल के स्वागत विभाग में लगे सूचना-पट पर लिखा था; आपातकालीन दुर्घटनाओं का पंजीकरण। एक घायल और गंदला व्यक्ति लड़खड़ाता हआ अंदर आया। उसकी पटियां खून से
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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