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________________ रहा होता है, और दूसरा अभी आया नहीं है, वही क्षण निरोध का होता है-एक सूक्ष्म अंतराल, जब तुम निर्विचार होते हो। एक विचार का बादल गुजर गया और दूसरा अभी आया नहीं है, उस बीच के क्षणिक अंतराल में आकाश की तरह चित्त साफ होता है। अगर कोई थोड़ा भी जागरूक हो, तो इसे देख सकता है। बस, चुपचाप शांत बैठ जाओ और देखो विचार ऐसे आते जाते रहते हैं जैसे सड़क पर यातायात गुजरता रहता है एक कार जाती है, दूसरी आ रही होती है लेकिन इन दो कारों के आने जाने के बीच एक अंतराल होता है और बीच में थोड़ी देर के लिए सड़क खाली होती है। जल्दी ही दूसरी कार आ जाएगी और सड़क फिर भर जाएगी और खाली न रहेगी। अगर तुम इन दो विचारों के बीच के अंतराल को देख सको, तब क्षण भर को वही अवस्था उपलब्ध हो जाती है, जैसे वि; समाधि को उपलब्ध व्यक्ति की होती है- क्षणिक समाधि, उसकी केवल झलक मात्र ही मिलती है। शीघ्र ही वह अंतराल दूसरे आते हु विचार से भर जाएगा, जो कि आ ही रहा होता है। देखना, ध्यानपूर्वक देखना । एक विचार जा रहा होता है, दूसरा आ रहा होता है, और दोनों के बीच एक अंतराल होता है उस अंतराल में तुम ठीक उसी अवस्था में होते हो जिस अवस्था में कोई समाधि को उपलब्ध व्यक्ति होता है। लेकिन तुम्हारी वह अवस्था मात्र एक क्षणिक घटना होती है। पतंजलि इसे निरोध की अवस्था कहते हैं। यह क्षणिक होती है, इतनी क्षणिक कि पूरे समय यह बदल रही होती है। यह इतनी शीघ्रता से बदलती है जैसे एक लहर जा रही होती है, और दूसरी आ रही होती है, इन दोनों के बीच कहीं कोई लहर नहीं होती है। इन को जरा ध्यान से देखने की कोशिश करना । सर्वाधिक महत्वपूर्ण ध्यान विधियों में से यह एक ध्यान विधि है और कुछ भी करने की कोई जरूरत नहीं है। बस, तुम शांत और मौन बैठकर ध्यानपूर्वक इन आते-जाते विचारों को देखते रहो विचारों के बीच के अंतराल को देखना प्रारंभ में यह कठिन होगा। धीरे-धीरे तुम सजग और जागरुक होने लगोगे और विचारों के बीच के अंतरालों को देख पाओगे विचारों पर ज्यादा ध्यान मत देना अपना पूरा ध्यान विचारों के बीच जो अंतराल आता है उस पर लगाना, विचारों पर नहीं जब विचारों का यातायात बंद हो, कोई भी विचार न गुजर रहा हो, वहां स्वयं को केंद्रित कर लेना। थोड़ा अपने देखने का ढंग बदल देना। साधारणतया तो हम विचारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बीच के अंतराल पर नहीं। लेकिन अब अपना ध्यान अंतराल पर केंद्रित करना, विचारों पर नहीं । एक बार ऐसा हुआ योग का एक मास्टर अपने शिष्यों को निरोध के विषय में समझा रहा था। उसके पास एक ब्लैक बोर्ड था। उसने उस ब्लैक बोर्ड पर चाक से एक बहुत छोटा सा बिंदु, जो कि मुश्किल से दिखाई दे, बनाया और फिर उसने अपने शिष्यों से पूछा कि ब्लैक बोर्ड पर तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है? उन सब शिष्यों ने एक साथ कहा, 'एक छोटा सा सफेद बिंदु।' वह मास्टर हंसने लगा। उसने कहा, 'तुम में से किसी को भी ब्लैक बोर्ड दिखाई नहीं देता? सभी को केवल यह छोटा सा सफेद बिंदु ही दिखाई दे रहा है?' -
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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